नई दिल्ली।सावधान, आपके फोन को स्टेट स्पॉन्सर द्वारा हैक करने की कोशिश की जा रही है’ 31 अक्टूबर को विपक्षी नेताओं को मिले एप्पल के इस नोटिफिकेशन ने भारत में सियासी भूचाल ला दिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर जासूसी करने का आरोप लगाया.राहुल गांधी ने आगे कहा कि जैसे ही गौतम अडानी को टच किया जाता है, वैसे ही खुफिया एजेंसियां जासूसी शुरू कर देती हैं. तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने भी फोन हैकिंग की कोशिश को अडानी मुद्दे से जोड़ा, तो शशि थरूर ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया. सत्तारूढ़ बीजेपी ने इसे बेबुनियाद बताया और विपक्षी नेताओं को एफआईआर करने की सलाह दी.
केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव ने पूरे मामले की तह तक जाने की बात कही है. आरोप-प्रत्यारोप के दौर में सबसे बड़ा बयान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने दिया.लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा- इसी तरह पिछली सरकार ने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का फोन टैप किया था. वो सरकार चली गई. अब यह कृत्य वर्तमान की केंद्र सरकार कर रही है. जनता इस सरकार को भी 2024 में सबक सिखाएगी. 30 दिसंबर 2005 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मनमोहन सरकार पर फोन टैप का आरोप लगाया था. मुलायम के आरोप से पूरी दिल्ली की सरकार हिल गई थी.
मुलायम के आरोप पर गृहमंत्री शिवराज पाटील ने उस वक्त सफाई दी थी. फोन टैपिंग या फोन जासूसी क्या है?किसी 2 व्यक्ति के निजी बातचीत को सुनने के लिए गुप्त रूप से किसी संचार चैनल को रिकॉर्ड करना फोन टैपिंग कहलाता है. फोन टैपिंग को कई देशों में वायर टैपिंग भी कहा जाता है. पुराने जमाने में टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए फोन टैप किया जाता है. फोन टैप का एक और तरीका उस वक्त मशहूर था. इसमें डायलर के सामने की तार से छेड़छाड़ कर डिवाइस के माध्यम से बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता था.अभी के जमाने में ऐप के जरिए फोन टैप किया जाता है. आधिकारिक तौर पर नंबर को सर्विलांस पर रखकर बातचीत को सुना जाता है.फोन जासूसी इससे थोड़ा अलग होता है. फोन जासूसी में हैकर्स आपके फोन की जानकारियों को इकट्ठा करता है. आम हैकर्स फोन जासूसी पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जिससे संबंधित व्यक्ति की निजी जानकारी लेकर पैसा ऐंठा जाए.भारत में फोन टैप को लेकर क्या है कानून?देश में फोन पर बातचीत को निजता के अधिकार से जोड़ा गया है.
निजता के अधिकार का वर्णन संविधान के अनुच्छेद-21 में किया गया है. हालांकि, सरकार को विशेष परिस्थिति में फोन टैप का अधिकार दिया गया है.भारत में फोन और उससे जुड़े नियम टेलीग्राफिक एक्ट- 1885 में बताया गया है. इसी एक्ट की धारा 5 (2) में फोन टैपिंग का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार लोगों की बातचीत सुन सकती है.बातचीत सुनने के लिए सभी अधिकृत बॉडी को भारत के गृह सचिव से परमिशन लेनी होगी. बिना परमिशन टेप करना गैर-कानूनी काम माना गया है. हालांकि, गृह सचिव से परमिशन का मुद्दा हमेशा विवादों में रहा है.कोर्ट ने फोन टैप के कानून में अपने टिप्पणी से निम्नलिखित नियम जोड़े हैं-1. रिकॉर्ड किए गए फोन टैप को 6 महीने के भीतर नष्ट करना जरूरी है. नष्ट करने की जिम्मेदारी गृह सचिव पर है.
फोन टैप के लिए 2 महीने पर परमिशन रिन्यू कराना होगा.2. जिस व्यक्ति के फोन टैप की मंजूरी ली जाती है, सिर्फ उसी व्यक्ति का फोन टैप होना चाहिए. उसके करीबी या रिश्तेदार का फोन टैप करना गैर-कानूनी माना जाएगा.3. फोन टैप की मंजूरी देने से पहले गृह सचिव यह देखें कि क्या यह आखिरी विकल्प है? आखिरी विकल्प होने के बाद ही फोन टैप की इजाजत दी जाए. इसकी समीक्षा भी कराई जाए.जब जासूसी और फोन टैप पर सरकार गिर गईभारत में 2 बार फोन टैप और जासूसी की वजह से सरकार गिर चुकी है. साल 1988 में केंद्र सरकार ने खुलासा किया कि कर्नाटक की जनता पार्टी की सरकार विपक्षी नेताओं का फोन टैप कर रही है. राज्य में उस वक्त रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली सरकार थी. आरोप लगते ही सियासी बवाल मच गया. अंत में हेगड़े को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी और जनता पार्टी की सरकार गिर गई. दूसरा मौका 1991 में आया, उस वक्त चंद्रशेखर भारत के प्रधानमंत्री थे. उन्हें कांग्रेस का समर्थन मिला था. हालांकि, खेल तब हो गया, जब राजीव गांधी के सरकारी आवास के बाहर कुछ पुलिसकर्मी देखे गए.कांग्रेस ने इसे जासूसी से जोड़ा.
चंद्रशेखर सफाई देते रहे, लेकिन मामला तुल पकड़ लिया. कांग्रेस ने आनन-फानन में समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया. चंद्रशेखर की सरकार गिर गई.वो मौका, जब फोन टैप ने सियासी भूचाल मचाया1991 में सीबीआई ने फोन टैपिंग को लेकर जांच में बड़ा खुलासा किया था. उस वक्त के मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1984 से 1987 तक विपक्ष और ट्रेड यूनियन के नेताओं का फोन धड़ल्ले से निगरानी पर रखा गया था. सीबीआई जांच में खुलासा हुआ था कि इस दौरान सरकार में मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान, केसी पंत, करुणानीधि, चिमन भाई पटेल, एआर अंतुले, जयललिता जैसे लोगों का फोन टैप किया गया था. मामला सामने आने के बाद सियासी भूचाल मच गया था. इसी तरह यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2005 ने मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी पर फोन टैप का आरोप लगाया था.इसके कुछ महीने बाद सपा सांसद अमर सिंह ने खुद के फोन टैप किए जाने की आशंका जाहिर की थी.
इस मामले में अमर सिंह सुप्रीम कोर्ट भी गए थे. इसी साल टैप के एक और मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. एक निजी चैनल ने दावा किया था कि केंद्रीय मंत्री लालू यादव के 3 मामलों की सुनवाई कर रहे जज जस्टिस एसएन वरियावा के फोन कॉल को भी टैप किया गया. यह खुलासा जस्टिस वरियावा के रिटायर होने के बाद हुआ था.2010 में अंग्रेजी मैगजीन आउटलुक ने दावा किया था कि यूपीए सरकार के वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और तत्कालीन सीपीएम महासचिव प्रकाश कारात के फोन टैप किए गए.मैगजीन के मुताबिक प्रकाश कारात के फोन उस वक्त टैप किए गए, जब अमेरिकी परमाणु डील का मुद्दा चरम पर था और सीपीएम ने यूपीए सरकार के समर्थन वापस लेने का फैसला किया था.साल 2021 में पेगासस का जिन्न भारत में जासूसी को लेकर भूचाल ला दिया था.
एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि भारत सरकार ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए विपक्षी नेताओं की जासूसी की. .
