रायपुर:- श्रावण मास की शुरुआत होने वाली है. ऐसे में शिव मंदिरों में पूरे एक महीने तक शिव भक्तों की भीड़ उमड़ेगी. रविवार और सोमवार के दिन भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा शिव मंदिरों में पहुंचती है. साल 2025 में सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और सावन महीने का समापन 9 अगस्त को होगा. सावन का पूरा एक महीना भगवान शिव के लिए समर्पित होता है. सावन महीने में भक्त भगवान शिव की बेल, धतूरा, आंक के फूल के साथ पूरे विधि विधान से पूजा आराधना करते हैं.
सावन सोमवार 2025: मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, उसके बाद 4 महीने के समय में भगवान भोलेनाथ इस सृष्टि का संचालन करते हैं. इस दौरान भगवान भोलेनाथ के साथ ही पूरे परिवार की पूजा आराधना होती है. 4 महीने का समय भगवान भोलेनाथ के साथ ही उनके परिवार के लिए समर्पित माना गया है.
भोलेनाथ जल्द होते हैं सावन में प्रसन्न”: हटकेश्वरनाथ धाम के पुजारी पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया कि सावन के महीने में ही भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना का खास महत्व है. भगवान भोलेनाथ ने इसी समय संसार को बचाने के लिए विषपान किया. जिसकी वजह से यह महीना भगवान भोलेनाथ के लिए समर्पित माना गया. सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं.
मनवांछित फल की प्राप्ति: ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि संपूर्ण सावन का महीना ओम नमः शिवाय के मंत्रों से शिवालय और देवालय गूंजायमान होता है. ऐसी भी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ माता पार्वती के साथ एक महीने के लिए पृथ्वी लोक पर विचरण करने के लिए आते हैं. भगवान भोलेनाथ माता पार्वती के साथ विवाह करने के बाद पहली बार जब आते हैं तो यह सावन का महीना होता है. जो साल में एक बार आता है. इस समय भगवान भोलेनाथ को लोग विभिन्न तरह की पूजा आराधना करके प्रसन्न करते हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति करते हैं.
चौमासे में पूरे शिव परिवार की पूजा: महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि देवशयनी एकादशी के बाद भगवान शिव और उनके परिवार गणों का पूजन आरंभ होता है. जैसे सावन मास भर शिवजी की पूजा, नागपंचमी पर नाग की पूजा, पोला के दिन नंदी बैल की पूजा, तीजा के दिन शिव पार्वती जी की पूजा, भादो माह में 11 दिन गणेश जी की पूजा और नवरात्र पक्ष में दुर्गा देवी की पूजा, शरद पूर्णिमा में चंद्रदेव की पूजा की जाती है. इस तरह से 4 महीने के चौमासे में पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु राजा बलि के घर पाताल लोक में आतिथ्य स्वीकार करने जाते हैं.”
आदि देव महादेव: ज्योतिष पंडित अरुणेश शर्मा कहते हैं कि 1 महीने तक सावन के महीने में ही भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना क्यों की जाती है. भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता है. आदि देव हैं, महादेव हैं. वेदों में भगवान महादेव का वर्णन है. इस महीने में प्रकृति की पूजा के रूप में महादेव की पूजा की जाती है. सनातन परंपरा में प्रकृति पूजा को ही सर्वोच्च स्थान दिया गया है. प्रकृति हमें सब कुछ देती है. उसके धन्यवाद स्वरूप सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है.
खारुन नदी पर है हटकेश्वरनाथ धाम: रायपुर के खारुन नदी के तट पर स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक हटकेश्वरनाथ धाम है. जिसे लोग महादेव घाट के नाम से जानते हैं. खासतौर पर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में इस मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं रविवार और सोमवार के दिन मंदिर में काफी भीड़ भी रहती है. इसके साथ ही भक्तजन हटकेश्वरनाथ धाम में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के साथ ही खारुन नदी के तट पर नौका विहार का भी आनंद लेते हैं. इस दौरान हटकेश्वरनाथ धाम में मेले जैसा माहौल रहता है.