नई दिल्ली– आंध्र प्रदेश में आने वाले समय में कर्मचारियों को ज्यादा समय काम करना पड़ सकता है. इसका कारण है प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी द्वारा राज्य के श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी. सरकार का इरादा प्रदेश की सभी निजी कंपनियों और फैक्ट्रियों में कर्मचारियों के लिए अनिवार्य काम के घंटे नौ से बढ़ाकर दस करने का है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने हाल ही में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. सरकार का दावा है कि यह कदम ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ (EoDB) नीति के तहत निवेशकों और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए उठाया गया है. लेकिन, ट्रेड यूनियनों को सरकार का यह निर्णय कतई रास नहीं आया है. यूनियनों का कहना है कि इससे कर्मचारियों को “गुलाम” बना दिया जाएगा. इससे पहले राज्य में कार्य के अधिकतम घंटे आठ निर्धारित थे, जिन्हें लगभग एक दशक पहले बढ़ाकर नौ घंटे किया गया था.
नए श्रम कानून में काम के घंटे बढाने के साथ ही कुछ और भी प्रावधान किए गए हैं. सरकार ने ओवरटाइम (OT) और नाइट शिफ्ट के नियमों में भी बड़े बदलाव किए हैं. अब महिला कर्मचारी भी नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी. नाइट शिफ्ट के बदले उन्हें एक अतिरिक्त सवैतनिक अवकाश दिया जाएगा, लेकिन यह सुविधा प्रबंधन के विवेक पर निर्भर होगी. वहीं, ओवरटाइम की सीमा 75 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है. इसका मतलब यह है कि अब श्रमिकों को अतिरिक्त वेतन 144 घंटे ओवरटाइम के बाद ही मिलेगा. मौजूदा कानूनों में श्रमिकों पर बोझ कम करने के लिए ओवरलैपिंग शेड्यूल (अर्थात दो शिफ्टों के बीच का समय) को सीमित किया गया था, लेकिन नए संशोधन में इस निर्णय को अब फैक्ट्री प्रबंधन के ऊपर छोड़ दिया गया है.
नए कानून से निवेशक होंगे आकर्षित
आंध्र प्रदेश के सूचना और जनसंपर्क मंत्री के. पार्थसारथी ने कहा कि सरकार ने ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस नीति के तहत श्रम कानून के कई सेक्शनों में संशोधन करने का फैसला किया है. उनका कहना है कि नियमों में ढील देने से आंध्र प्रदेश में और अधिक निवेशकों को आकर्षित किया जा सकेगा. मंत्री ने यह भी कहा कि इससे प्रदेश में उद्योगों का माहौल बेहतर होगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी.
ट्रेड यूनियनों ने दी आंदोलन की चेतावनी
इस फैसले का वामपंथी दलों और ट्रेड यूनियनों ने जबरदस्त विरोध किया है. माकपा (CPM) के राज्य सचिव वी. श्रीनिवास राव ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के दबाव में राज्य सरकार बड़े उद्योगपतियों को खुश करने के लिए नियमों में यह संशोधन कर रही है. उन्होंने कहा, “ये संशोधन केवल श्रमिकों को गुलाम बनाने के लिए हैं. इससे उनके कार्यभार में अत्यधिक वृद्धि होगी.” ट्रेड यूनियनों ने सरकार के इस कदम के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. यूनियनों का कहना है कि यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया तो पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे.
12 घंटे तक काम लेने की आशंका
आंध्र प्रदेश फैक्ट्रियों अधिनियम के तहत अब तक कोई भी वयस्क श्रमिक एक दिन में नौ घंटे से अधिक कार्य नहीं कर सकता था. इसके अंतर्गत लगातार पांच घंटे काम करने के बाद आधे घंटे का अनिवार्य विश्राम भी शामिल था. अब यूनियनों को आशंका है कि अगर फैक्ट्री प्रबंधन निर्धारित समय से दो घंटे अतिरिक्त काम कराए, तो श्रमिकों को प्रतिदिन 12 घंटे तक काम करना पड़ सकता है.