नई दिल्ली:– 11 सितंबर, बुधवार को ‘राधा अष्टमी’ का पावन पर्व देश भर में मनाया जाएगा।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा रानी की पूजा के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही ‘राधा अष्टमी’ का त्योहार पूरे देशभर में बड़े धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
कृष्ण भक्तों के लिए जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी दूसरा सबसे बड़ा उत्सव होता है। इस दिन राधा रानी का विधि विधान से प्राकट्य दिवस मनाते हैं। श्रीकृष्ण मंदिरों में राधा संग भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। राधा जी जन्म भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मथुरा के रावल गांव में जन्मीं थीं। उनकी माता कीर्ति और पिता वृषभानु जी थे।
ज्योतिष गुरु के अनुसार, जब भी राधा रानी का नाम आता है तो जुबां पर श्रीकृष्ण का नाम अपने आप ही आ जाता है। जहां भगवान श्रीकृष्ण का जिक्र होता है वहां राधा रानी न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है, दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं और जब भी प्रेम की परिभाषा दी जाती है तो राधा-कृष्ण का उदाहरण जरूर आता है।
जानिए राधा-कृष्ण से जुड़ी बातें
मंदिरों में राधा-कृष्ण के जोड़े का पूजन किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी एक-दूसरे से प्रेम करते थे फिर भी श्रीकृष्ण ने राधा जी की बजाय रुक्मिणी से विवाह क्यों किया? आखिर श्रीकृष्ण और राधा रानी का विवाह क्यों नहीं हुआ था ? ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे छिपी वजहों के बारे में-
श्रीकृष्ण ने राधा जी से विवाह क्यों नहीं किया
गर्ग संहिता के मुताबिक, कृष्ण जब बचपन में नंद बाबा की गोद में खेल रहे थे। तभी उन्हें एक अद्भुत शक्ति का आभास हुआ जो कोई नहीं बल्कि राधा थीं। वो तुरंत ही बाल अवस्था को छोड़ कर यौवनावस्था में आ गए।ऐसा माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा जी ने राधा-कृष्ण का विवाह करवाया था। विवाह होने के बाद सब कुछ सामान्य हो गया।
विवाह के बाद ही ब्रह्मा जी और राधा जी भी अंतर्ध्यान हो गए और कृष्ण भी अपनी बाल अवस्था में वापस आ गए।
पुराणों के अनुसार, जब कृष्ण जी वृंदावन छोड़कर जा रहे थे तब उन्होंने राधा से वादा किया था कि वे लौटकर आएंगे, लेकिन उनकी मुलाकात रुक्मणी से हुई जो मन ही मन उन्हें अपना पति मान चुकी थीं। जब रुक्मणी का विवाह किसी दूसरे से कराया जा रहा था तब कृष्ण जी वहां पहुंच गए और उनसे शादी कर ली।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब राधा-कृष्ण बालपन में मिले थे तभी उन्हें अपने प्रेम का आभास हो गया था। राधा कृष्ण से उम्र में 11 महीने बड़ी थी और दोनों का प्रेम आध्यात्मिक था इसलिए वह कभी शादी के बंधन में नहीं बंधे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राधा को रुक्मणी का आध्यात्मिक अवतार भी माना जाता है। अब इन कथाओं की मानें तो राधा-कृष्ण का विवाह सीधे तौर पर तो नहीं हुआ लेकिन दोनों जीवन भर एक-दूसरे से प्रेम करते रहे।
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार ही राधा का विवाह यशोदा के भाई रायान गोपा से हो गई थी और राधा रिश्ते में कृष्ण की मामी लगने लगी थी, इसलिए भी उन्होंने शादी नहीं की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि राधा ने अपना घर छोड़ दिया था और एक परछाई अपने घर पर छोड़ी थी, उसी से गोपा की शादी की गई थी।
कृष्ण जी ने रुक्मणी से विवाह इसलिए भी किया, क्योंकि वे जानते थे कि रुक्मणी ही राधा है। दरअसल राधा का ही एक स्वरूप रुक्मणी का था।