नई दिल्ली : यह कहानी है ओडिशा की रहने वाली एक लड़की की. मिडिल क्लास फैमिली की आयुषी प्रधान ने घर पर रहकर खुद से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की थी. इसके लिए उन्होंने अपनी प्राइवेट जॉब और एमबीए की पढ़ाई तक छोड़ दी थी. जानिए आयुषी प्रधान का आईएएस अफसर बनने तक का पूरा सफर.
आयुषी प्रधान ओडिशा के बारीपदा की रहने वाली हैं. उनका जन्म 02 दिसंबर, 1997 को हुआ था. वह एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता बैंककर्मी और मां होममेकर हैं. आयुषी बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थीं. उन्होंने अपने लिए कुछ सपने देखे थे, जिन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की. वह अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती थीं. उनके इस सफर में कई रुकावटें आईं लेकिन वह हारी नहीं. वह एक पल के लिए भी अपने लक्ष्य से दूर नहीं हुईं. वह हर कदम पर खुद को मोटिवेट करती रहीं.

आयुषी प्रधान ने बारीपदा के सेंट ऐन्स कॉन्वेंट स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी. इसमें उन्होंने 93.5 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. फिर भुवनेश्वर के मदर्स पब्लिक स्कूल से 12वीं में 93 फीसदी अंक मिले थे. इसके बाद उन्होंने भुवनेश्वर में स्थित सीईटी यानी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने प्राइवेट जॉब के साथ एमबीए की तैयारी शुरू कर दी थी. वह एक सफलता से रुकने वाली नहीं थीं. उन्हें आगे बढ़ना था. जिंदगी में एक नया मुकाम हासिल करना था.
आयुषी प्रधान ने यूपीएससी परीक्षा के तीन अटेंप्ट्स दिए थे. सिर्फ 26 साल की उम्र में वह आईएएस अफसर बन गईं. संघ लोक सेवा आयोग की सीएसई परीक्षा के पहले प्रयास में वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गई थीं. लेकिन सिर्फ 13 मार्क्स से उनका सेलेक्शन रह गया था. यूपीएससी परीक्षा के दूसरे अटेंप्ट में उन्हें 334वीं रैंक मिली थी. उन्हें इंडियन डिफेंस एस्टेट्स सर्विस (IDES) में सरकारी नौकरी मिल गई थी. उनकी ट्रेनिंग भी शुरू हो गई लेकिन उनका सपना अभी भी पूरा नहीं हुआ था. वह आईएएस अफसर ही बनना चाहती थीं.
आयुषी ने साल 2023 में एक बार फिर से यूपीएससी परीक्षा दी. यह अटेंप्ट उन्होंने आईडीईएस की ट्रेनिंग के साथ दिया था. इसमें उन्हें 36वीं रैंक मिली. इसके साथ ही आईएएस कैडर के लिए उनका सेलेक्शन भी हो गया. फिलहाल वह IDES में ऑफिसर ट्रेनी हैं. कुछ समय बाद उनकी आईएएस ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी. इसके लिए उन्हें 2 सालों तक उत्तराखंड के मसूरी में स्थित LBSNAA में रहना होगा. बीच-बीच में प्रैक्टिकल अनुभव के लिए उन्हें फील्ड पोस्टिंग भी दी जाएगी. इसके बाद उन्हें बतौर आईएएस अफसर पहली पोस्टिंग मिलेगी.
आयुषी प्रधान का बैकग्राउंड टेक्निकल विषयों का था. लेकिन यूपीएससी ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर उन्होंने एंथ्रोपोलॉजी विषय चुना था. इसकी तैयारी करने के लिए उन्हें डबल मेहनत करनी पड़ी. उनके लिए यह विषय नया था और उनके पास समय कम था. वह एक साथ तक टेक्निकल फील्ड में नौकरी भी कर चुकी थीं. आईएएस बनने के लिए उन्होंने अपने करियर के साथ काफी बड़ा रिस्क लिया था. उनके सब्जेक्ट काफी चैलेंजिंग थे. कई बार वह थोड़ा डगमगाई भी थीं. उनके मन में सेल्फ डाउट्स आते थे. उनका तैयारी छोड़ने तक का मन किया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी थी.
यूपीएससी परीक्षा का सफर बहुत लंबा और थकाऊ होता है. परीक्षा देने के 1 साल बाद रिजल्ट आता है. इस दौरान युवा काफी स्ट्रेस में रहते हैं. उन्हें कुछ अंदाजा नहीं होता है कि वह इसमें सफल हो भी पाएंगे या नहीं. उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि यूपीएससी रिजल्ट का ही इंतजार करें या अगले अटेंप्ट की तैयारी में जुट जाएं. आयुषी को भी कई बार लगा जैसे यह ऑप्शन उनके लिए है ही नहीं. वह यूपीएससी एस्पिरेंट्स को सलाह देती हैं कि इस पूरे प्रोसेस के दौरान अपने ऊपर कॉन्फिडेंस रखें. मोटिवेशन कम ना होने दें और इस तैयारी में अपना 100 प्रतिशत दें. अगर आप असफल हो भी गए तो यह ज्ञान आपके काम जरूर आएगा.
 
		