नई दिल्ली :- हिंदू संस्कृति और इसके रीति रिवाज लोगों को वन्य प्राणी, पशु-पक्षी सहित पूर्ण प्रकृति से जोड़े हुए हैं. हिंदू संस्कृति में गाय को गौ माता का दर्जा प्राप्त है और इसकी पूजा की जाती है. बहुला चतुर्थी पर भी महिलाएं गौ माता की पूजा करने के बाद ही भोजन करती हैं. बता दें कि 12 अगस्त, दिन मंगलवार को बहुला चतुर्थी मनाई जाएगी. इसे बहुला चौथ के नाम से भी जाना जाता है.
बच्चों की लंबी उम्र की करती हैं कामना
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थ तिथि को बहुला चतुर्थी मनाई जाती है. महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत रखती हैं. इस दिन सुबह वे स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. जिसके बाद दोपहर में प्रकृति और वन्य प्राणियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं, शाम में गौ माता की पूजा करने के बाद ही महिलाएं प्रसाद या भोजन ग्रहण करती हैं. गौमाता को हिंदू धर्म में लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है.
कैसे करते हैं चतुर्थी व्रत
बहुला चतुर्थी व्रत की तैयारियों में जुटीं शहडोल जिले की इंन्द्रवती गुप्ता बताती हैं कि “हमारे क्षेत्र में इसे बहुरा चौथ के नाम से जाना जाता है. इस व्रत के लिए महिलाएं सुबह स्नान करती हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद शिव-पार्वती की पूजा कर दोपहर में होने वाली पूजा की तैयारियों में जुट जाती हैं. इसके लिए साफ और शुद्ध मिट्टी लाई जाती है. उस मिट्टी से गाय, बछड़ा, छोटे से गणेश जी और कृष्ण जी की आकृति बनाई जाती है. इसके साथ ही छोटी सी पहाड़नुमा आकृति भी बनाई जाती है. इसके बाद सभी मूर्तियों को एक परात में रख लेते हैं.
दोपहर में सभी महिलाएं एक ही जगह इकट्ठा होकर उस परात को आसन पर रख देती हैं और फिर विधि-विधान से पूजा-पाठ करती हैं. पूजा समाप्त होने के बाद शाम को गौ माता का इंतजार किया जाता है. जब गौ माता विचरण कर घर वापस आती हैं तो उनकी पूजा की जाती है. गौ माता की पूजा के बाद ही माताएं एवं बहनें प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस दिन पूजा में चावल का उपयोग नहीं किया जाता है. चावल की जगह चने की दाल भगवान को चढ़ाई जाती है.
बहुला चतुर्थी का कब है शुभ मुहूर्त
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि “वैसे तो इसके लिए कोई विशेष शुभ मुहूर्त की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि इसमें सुबह से लेकर शाम तक पूजा पाठ का दौर चलता है. लेकिन शाम को जब गाय की पूजा करें तो रात में 8 बजे से शुरू कर दें. जिससे शाम को साढ़े 8 बजे तक पाठ संपन्न हो जाए और 8 बजकर 37 मिनट पर चंद्रदेव दिखेंगे तो उनको भी अर्घ्य दे सकें. चन्द्रमा को अर्घ्य देने का यही शुभ समय है. इसके बाद प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है.
बहुला चौथ के दिन क्या खाएं
बहुला चौथ के दिन में व्रती महिलाओं बहुत सीमित चीजें ही खाने में इस्तेमाल कर सकती हैं. पूजा संपन्न होने के बाद व्रती महिलाएं चना दाल का सेवन कर सकती हैं. इसके साथ ही भैंस का दूध, घी और दही का उपयोग खाने में कर सकती हैं.