*भोपाल:-* हम ऊंचाई पर जाते हैं तो सांस लेना मुश्किल होता है. ऐसा लगता है कि हमारे शरीर में ऑक्सीजन खत्म हो गया है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि फ्लाइट में लोग ऑक्सीजन कैसे लेते हैं.हवाई जहाज तो 33 हजार फीट से ऊपर उड़ते हैं. ऐसी स्थिति में उसमें बैठे लोगों की सांस क्यों नहीं फूलती है? क्या प्लेन में ऑक्सीजन सिलेंडर लगे होते हैं? आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे.बता दें कि प्लेन में बैठे लोगों के लिए अलग से कोई ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं जाता है. यात्रियों के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम आसमान में ही किया जाता है. इसके लिए सभी विमानों में सिस्टम लगा होता है.इंसान इतनी ऊंचाई पर सामान्य तरीके से ऑक्सीजन नहीं ले सकता है. इसलिए केबिन में ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाती है. हालांकि यह नीचे से नहीं आती है, ये बाहर की हवा से इकट्ठा की जाती है.एविएशन एक्सपर्ट के मुताबिक ज्यादा ऊंचाई पर सीधे हवा से सांस लेना लगभग नामुमकिन है. क्योंकि वहां हवा में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम होती है. फ्लाइट में एक सिस्टम की मदद से बाहर की ऑक्सीजन को कैप्चर किया जाता है. जिसके बाद उसे एक टैंक में भरा जाता है.उस मशीन के द्वारा सबसे पहले बाहर की हवा अंदर की तरफ लेते हैं, फिर उसे प्रोसेस किया जाता है. फिर गर्म ऑक्सीजन को अंदर लेकर सांस लेने योग्य बनाया जाता है और बाकी बची हवा को बाहर कर दिया जाता है.इसके अलावा इमरजेंसी के लिए फ्लाइट में ऑक्सीजन सिलेंडर भी रखा होता है. जिसका किसी आपात स्थिति में उपयोग किया जाता है।