: आपने अक्सर लोगों से सुना होगा कि नए व्हीकल को कुछ समय तक ज्यादा स्पीड या ज्यादा अग्रेसिव होकर नहीं चलना चाहिए. यही समय रनिंग-इन पीरियड होता है. यानी, कार का रन-इन पीरियड शुरुआती समय होता है, जब कार नई-नई होती है और आप उसे लाते हैं. दरअसल, शुरू में नई कार के इंजन और बाकी मैकेनिकल पार्ट्स को धीरे-धीरे ढलने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का समय दिया जाता है. यह आमतौर पर पहले 1,000-2,000 किलोमीटर के बीच होता है लेकिन यह कार के मॉडल और कंपनी के निर्देशों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है.
रनिंग-इन पीरियड के दौरान कार के इंजन पर ज्यादा जोर नहीं डालना चाहिए. इस दौरान अग्रेसिव ड्राइविंग से बचें और ज्यादा हार्ड थ्रोटल ना दें. इसके साथ ही, ओवरस्पीडिंग और ओवरलडिंग से भी बचें, जो आम स्थिति में भी बचना चाहिए. इससे आपकी कार के इंजन और बाकी मैकेनिकल पार्ट्स सही से सैटल होने का समय मिलेगा
रनिंग-इन पीरियड में ये सावधानी बरतें– हाई स्पीड से गाड़ी चलाने से बचें.– अचानक एक्सीलरेशन या ब्रेक लगाने से बचें.– इंजन पर ज़्यादा ज़ोर न दें.– कार में ज्यादा वजन ना रखें. — बार-बार गियर बदलने से बचें.– ज़्यादा RPM पर गाड़ी चलाने से बचें.रनिंग-इन पीरियड के दौरान इन सावधानियों का पालन करने से इंजन और अन्य मैकेनिकल पार्ट्स को लंबे समय तक चलने में मदद मिलती है, कार का परफॉर्मेंस बेहतर रहेगा, फ्यूल एफिशिएंसी बेहतर मिलेगी और साथ ही सेफ्टी भी रहेगी.
रनिंग-इन पीरियड के बाद आप सामान्य तौर पर कार चला सकते हैं. इसके बाद बस आपको कार मेंटेनेंस का ध्यान रखना है. मेंटेनेंस अच्छा रखेंगे तो कार लंबे समय तक बढ़िया चलती रहेगी. इसीलिए, कार मैनुअल में दिए गए सर्विस टाइम इंटरवल पर सर्विसिंग कराएं.