बरेलीः उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में बच्चे की जीभ की जगह प्राइवेट पार्ट का ऑपरेशन कर देने का मामला सामने आया है। मामला इतना बढ़ा कि उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक तक जा पहुंचा। उन्होंने 4 घंटे के अंदर इसकी रिपोर्ट मांगी। सीएमओ बरेली डॉ। बलवीर सिंह ने इसके लिए टीम गठित कर दी। फिर जांच शुरू की गई। सीएमओ ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर एम खान अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किया गया है। संजयनगर निवासी एक शख्स के ढाई साल के बेटे को परिजनों ने स्टेडियम रोड स्थित डॉ। एम खान अस्पताल में भर्ती कराया था। घरवालों का आरोप है कि उन्हें बच्चे के जीभ का ऑपरेशन कराना था। लेकिन अस्पताल वालों ने उनके बेटे का खतना कर दिया।
तो वहीं, इस मामले में डाक्टर और स्टाफ का कहना है कि बच्चे को मूत्रमार्ग में संक्रमण था। जिस कारण उसके प्राइवेट पार्ट का ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि परिवार की ओर से बच्चे के जीभ के ऑपरेशन की कोई बात ही नहीं हुई थी। पीड़ित पिता ने बताया, मेरे ढाई साल के बेटे को बोलने में दिक्कत है। वह ठीक से बोल भी नहीं पाता है। हम बच्चे को स्टेडियम रोड पर डॉ। एम खान हॉस्पिटल में दिखाने पहुंचे तो वहां डॉक्टर ने ऑपरेशन कराने की सलाह दी। इस पर हमने बच्चे को अस्पताल में भर्ती करा दिया। लेकिन डॉक्टर ने जीभ के ऑपरेशन की जगह प्राइवेट पार्ट का ऑपरेशन कर खतना कर दिया।
उन्होंने आगे बताया, जब हम बच्चे से मिलने पहुंचे और उसे बाथरूम ले जाने लगे तो बच्चे का प्राइवेट पार्ट देखा। इसके बाद डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और हमें बाहर बैठा दिया। फिर खतना होने की जानकारी परिजनों ने परिवार के अन्य लोगों को दी। इसके बाद आसपास के लोग भी अस्पताल पहुंच गए और वहां जमकर हंगामा किया। बात डिप्टी सीएम तक पहुंची तो उन्होंने सीएमओ बरेली डॉ। बलवीर सिंह को मामले की जांच के आदेश दे डाले।
सीएमओ बरेली डॉ. बलवीर सिंह का कहना है कि हमने फिलहाल के लिए अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड किया है। क्योंकि हम इस मामले की हर एंगल से जांच कर रहे हैं। क्योंकि डॉक्टरों के पास जो मेडिल रसीद है उसमें प्राइवेट पार्ट का ऑपरेशन करने की बात ही लिखी गई है। उसमें बच्चे के माता-पिता के साइन भी हैं। वहीं, जीभ के ऑपरेशन से संबंधित तो कहीं भी कोई मेडिकल पर्ची नहीं मिली हैं। इसलिए हर एंगल से जांच करना जरूरी है। जल्द ही सच्चाई का पता लगा लिया जाएगा। उधर, बच्चे के परिजनों का कहना है कि वे लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं। ऐसे में डॉक्टरों ने जिन कागजों में भी उनसे साइन करवाए, उन्होंने कर दिए। खैर इस मामले में जांच जारी है।