नई दिल्ली:– भारतीय रिजर्व बैंक ने एक और सहकारी बैंक के लाइसेंस को रद्द कर दिया है। इस सहकारी बैंक का नाम- बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक, वाराणसी है। आरबीआई ने बैंक की बिगड़ती वित्तीय स्थिति के मद्देनजर यह फैसला लिया है। इसी के साथ यह बैंक अब बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकेगा।
क्या कहा आरबीआई ने
आरबीआई ने कहा कि सहकारी बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं तथा इसका जारी रहना इसके जमाकर्ताओं के हितों में नहीं है। रिजर्व बैंक ने कहा- अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण बैंक अपने जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के पंजीयक से भी बैंक को बंद करने और एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
ग्राहकों का क्या होगा?
केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 99.98 प्रतिशत जमाकर्ता जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से अपनी पूरी जमा राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। परिसमापन पर, प्रत्येक जमाकर्ता डीआईसीजीसी से अपनी जमाराशि पर पांच लाख रुपये तक की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। डीआईसीजीसी ने 30 अप्रैल तक बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त इच्छा के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत कुल बीमित जमाराशियों में से 4.25 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया है।
कई बैंकों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लौटाया
इससे पहले रिजर्व बैंक ने बताया कि उज्जीवन फाइनेंशियल सर्विसेज समेत नौ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने केंद्रीय बैंक को अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लौटा दिया है। इनमें से पांच एनबीएफसी ने गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान काराबार से बाहर होने की वजह से अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र लौटा दिया है। इनके नाम विगफिन होल्डिंग्स, स्ट्रिप कमोडियल, एलियम फाइनेंस, इटरनाइट फिनवेस्ट और फिनो फाइनेंस हैं। इनके अलावा एलेग्रो होल्डिंग्स, टेम्पल ट्रीज इम्पेक्स एंड इन्वेस्टमेंट और हेम फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपंजीकृत प्रमुख निवेश कंपनी के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा करने के बाद अपने प्रमाणपत्रों को लौटाया है। सीआईसी को पंजीकरण की जरूरत नहीं होती है
