नई दिल्ली:–‘उत्तर भारत समेत कई राज्यों में गर्मी के कारण लोग झुलस रहे हैं. भीषण गर्मी से लोग बेहाल हैं. जो लोग ऑफिस जा रहे हैं वे दफ्तरों में कैद हैं और जो लोग घरों में है वो शाम तक बाहर आने की कंडिशन में नहीं हैं. हर साल की तरह इस साल भी नौतपा में भीषण गर्मी की उम्मीद है, लेकिन दो दिन पहले दिल्ली-एनसीआर समेत आस-पास के राज्यों में आई भीषण बारिश और आंधी-तूफान की वजह से मौसम काफी ठंडा हो गया. हालांकि, आंधी-तूफान और बारिश के बाद दोबारा तपिश और उमस बढ़ने लगी है. अब लोगों के मन में सवाल हो खड़े हो रहे हैं कि नौतपा में अगर भीषण गर्मी नहीं पड़ी तो क्या होगा? एक्सपर्ट की राय मानें तो नौतपा में धरती को तपना बेहद ही जरूरी है. चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों?
नौतपा वह नौ दिन का समय है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और पृथ्वी के करीब होने से गर्मी बहुत बढ़ जाती है. यह भारत में गर्मी का सबसे तीव्र समय होता है। हालांकि, नौतपा तब खत्म होता है जब सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में चला जाता है. इसकी अवधि नौ दिन होती है और पूरे नौ दिन धरती तपती है. यही वजह है कि इन नौ दिनों को नौतपा कहते हैं. इस साल नौतपा 25 मई से 3 जून के बीच चलेगा.
नौतपा के आने से क्या फायदे-नुकसान?
जब भी नौतपा आता है तो किसान इसको अच्छा मानते हैं और यह खेती-किसानी के लिए पॉजिटिव साइन है. दरअसल, यह मान्यता है कि नौतपा में तगड़ी धूप के कारण धरती खूब तपती है और ज्यादा तपिश होने पर ज्यादा बारिश होने की संभावना जताई जाती है. अगर नौतपा में लू चले और प्रचंड गर्मी हो तो अधिक बारिश की उम्मीद होती है. इस बार बारिश के कारण नौतपा के शुरुआती दो दिन में तपिश की कमी देखी गई. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नौतपा में धरती तपी नहीं तो क्या असर देखने को मिलेगा. नौतपा में बारिश हो गई तो किसान परेशान नजर आते हैं क्योंकि बाद में बारिश कम होने की आशंका होती है.
बड़े-बुजुर्ग और एक्सपर्ट की मानें तो नौतपा की प्रचंड गर्मी हो तो आने वाले समय में बारिश होने पर फसल अच्छे होंगे. नौतपा की गर्मी से खेतों मौजूद कीट-पतंगे मर जाते हैं और जहरीले जीव नष्ट हो जाते हैं.
नौतपा नहीं आने पर क्या असर पड़ता है, इसके बारे में कई जानकारियां मौजूद हैं. जैसे यदि नौतपा के शुरुआती दो दिन में अगर लू नहीं चलते तो ज्यादा चूहे हो सकते हैं. इसके बाद तीसरे और चौथे दिन भी लू नहीं चली तो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पैदा नहीं हो पाएंगे. पांचवे दिन भी लू नहीं चली तो खेतों में उड़ने वाले टिड्डियों के अंडों का खात्मा नहीं होगा. इसके बाद छठवें दिन गर्मी से तपिश नहीं हुई तो बुखार वाले बैक्टीरिया खत्म नहीं होते और इसकी अवधि लंबी हो जाती है. फिर भी सातवें दिन लू नहीं पड़ी या गर्मी नहीं बढ़ी तो जहरीले जीव बने रहेंगे और नष्ट नहीं हो पाएंगे. इसके बाद लास्ट के दो दिन धरती नहीं तपी तो आंधी आने शुरू हो सकते हैं जिससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचेगा. ऐसे में कइयों का मानना है कि महामारी की भी संभावना बढ़ सकती है.