रायपुर:- उपवास के दौरान इंसुलिन का लेवल संभावित रूप से कमी आती है, जिससे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक इस प्रक्रिया के दौरान शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को हटाता है, यह भी बढ़ सकता है. सेलुलर स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है. 72 घंटे के उपवास से कुल मिलाकर 7,000 कैलोरी की कमी हो जाती है, जो लगभग दो पाउंड वसा हानि के बराबर होती है. अगर लंबे समय तक किया जाए तो 72 घंटे का उपवास वजन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और अनुकूली थर्मोजेनेसिस के कारण वजन बढ़ सकता है. किसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे उपवासों के दौरान पर्याप्त पानी का सेवन, इलेक्ट्रोलाइट, विटामिन, खनिज की पूर्ति हो. मांसपेशियों की पानी में कमी आने लगती है जिसकी वजह से शरीर में पानी की कमी होने लगती है।
इसे खतरनाक बताते हुए कहा कि 72 घंटे का उपवास आमतौर पर शरीर के चयापचय को कीटोन्स की ओर धकेलता है और यह मूत्र में कीटोन बॉडीज भुखमरी कीटोसिस में परिलक्षित होता है. इस तरह के लंबे समय तक उपवास के तरीके आमतौर पर खतरनाक होते हैं अगर इन्हें बिना निगरानी के किया जाए. यदि निर्जलीकरण के साथ जोड़ा जाता है. तो अपरिवर्तनीय गुर्दे की चोट, हाइपोटेंशन, अतालता, और विभिन्न रुग्ण विकार जैसे हाइपरयूरिसीमिया, कम सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कैचेक्सिया दुबली मांसपेशियों की हानि और अम्लीय मूत्र हो सकता है।
