मध्यप्रदेश:– 31 अक्टूबर, शुक्रवार को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा. इसे अक्षय नवमी या धात्री नवमी के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन आस्था, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में वास करते हैं. इसलिए इस दिन उसकी पूजा, परिक्रमा और नीचे भोजन करने से अक्षय पुण्य मिलता है. आयुर्वेद में आंवला अमृत तुल्य फल कहा गया है और इसी कारण इस तिथि को रोगों के नाश, दीर्घायु और धन-धान्य की वृद्धि का शुभ अवसर माना गया है.
30 अक्टूबर सुबह 10:07 बजे से नवमी तिथि प्रारंभ होगी और 31 अक्टूबर सुबह 10:03 बजे तक रहेगी. इस बार के दिन रवि योग और वृद्धि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनमें माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने से भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और समस्त देवताओं की कृपा प्राप्त होती है. भक्त स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं, वृक्ष की जड़ों में जल, दूध, पुष्प और अक्षत अर्पित करते हैं. उसके बाद सात या 11 परिक्रमा करते हुए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते हैं. पूजा के उपरांत वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने की परंपरा है, जिसे अत्यंत शुभ माना गया है.
स्वास्थ्य दृष्टि से भी आंवले का विशेष महत्व है, यह न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है. इसलिए यह दिन धर्म और विज्ञान, दोनों की दृष्टि से शुभ फलदायी है।