नई दिल्ली:– महाशिवरात्रि के दिन लोग भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। माना जाता है कि इस दिन ही भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। पंचाग के मुताबिक महाशिवरात्रि का उपवास फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है जो कि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा इसलिए महाशिवरात्रि 26 फरवरी को ही मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि को जहां शिव-पार्वती के मिलन पर्व के रूप में देखा जाता है वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन को सृष्टि के आरंभ के रूप में भी देखा जाता है।
भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था
कुछ कथाओं में कहा गया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने सृष्टि के कल्याण के लिए तांडव नृत्य किया था। तो वहीं स्कंद पुराण के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस कारण भक्त इस दिन शिवलिंग की विशेष पूजा करते हैं।
Maha Shivratri 2025 : महाशिवरात्रि की पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
जल, शहद, दही, घी, गंगाजल, और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
भगवान शिव को बिल्वपत्र अति प्रिय हैं, अतः उन्हें बिल्वपत्र चढ़ाएं।
धूप, दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
महाशिवरात्रि का महत्व
इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव पूजन से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
माना जाता है कि इस दिन अगर अविवाहित लोग व्रत रखे तो उन्हें मनवांछित जीवन साथी मिलता है।
