नई दिल्ली:–:नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन करने का बहुत खास महत्व होता है। इन दिन मां दुर्गा की पूजा-पाठ करने और नौ कन्याओं को पूजा करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। ऐसा करने से साधक को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस बार नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर से हुआ है और तृतीया तिथि 2 दिन होने के कारण अष्टमी 30 सितंबर व नवमी 1 अक्टूबर को पड़ रही है। कुछ लोग अष्टमी के दिन नवरात्रि व्रत का पारण करते हैं और कुछ लोग नवमी के दिन। यही कारण है नवरात्रि के अंतिम 2 दिन बहुत विशेष होते हैं। ऐसे में आइए विस्तार से जानें कन्या पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त और नियम…
आमतौर पर नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन साधक कन्याओं को भोग लगाकर व्रत का पारण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के प्रथम दिन से लेकर अंतिम दिन तक आप कन्याओं को भोग लगा सकते हैं। वहीं, नवमी और अष्टमी तिथि पर भी ऐसा किया जा सकता है।
अगर आपको 9 कन्याएं न मिल पाएं तो 3, 5 या 7 कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं। साथ ही, एक लड़के को भी कन्याओं के साथ भोजन कराना चाहिए। जिसे बटुक भैरव भी कहा जाता है। मान्यता है कि कन्या पूजन में 9 कन्याएं देवी दुर्गा का नौ स्वरूप होती हैं।
शास्त्रीय नियम के अनुसार, कन्या पूजन के लिए 2 से 10 साल तक की कन्याएं होनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को हर प्रकार के दोष से छुटकारा मिल सकता है और धन-धान्य की भी प्राप्ति होती है। साथ ही, जातक को मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है।
कन्या पूजन 2025 विधि
सबसे पहले सभी कन्याओं के चरण धोएं और फिर, आसन पर बिठाकर उन्हें तिलक लगाएं। साथ ही, अपने घर में भोजन भी जरूर कराएं।
कन्या पूजन में कन्याओं को उपहार में आप लाल वस्त्र दे सकते हैं। यह रंग मां दुर्गा को बेहद प्रिय है। ऐसे में इस रंग का इस्तेमाल करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
वस्त्र के अलावा आप लाल रंग की चुनरी भी उन्हें दे सकते हैं। साथ ही, एक फल भी उपहार के तौर पर जरूर दें। इसके लिए केला, अनार, सेब आदि लिया जा सकता है। ऐसा करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि पूजन के बाद कन्याओं को श्रृंगार की सामग्री भी देनी चाहिए। इसमें लाल चूड़ियां, बिंदी, नेलपेंट, लिपस्टिक, आदि शामिल है। कन्याओं को श्रृंगार का सामान देने से ये सीधा माता रानी को अर्पित माना जाता है।
मान्यता है की कन्याओं को जीरा या चावल भी कपड़े में बांधकर देने चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कन्या पूजन 2025 अष्टमी व नवमी तिथि
इस बार 30 सितंबर, मंगलवार के दिन अष्टमी तिथि रहेगी। पंचांग के अनुसार, 29 सितंबर, सोमवार को शाम के 4 बजकर 32 मिनट से अष्टमी तिथि आरंभ होगी और 30 तारीख को शाम के 6 बजकर 7 मिनट पर इसका समापन होगा।
इसके बाद से ही यानी 30 तारीख को शाम के 6 बजकर 8 मिनट से नवमी तिथि का आरंभ होगा। इसके बाद, 1 अक्टूबर, बुधवार के दिन शाम के 7 बजकर 2 मिनट पर नवमी तिथि का समापन होगा। ऐसे में अष्टमी 30 सितंबर और नवमी 1 अक्टूबर को रहेगी।
कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि और नवमी तिथि पर सुबह से लेकर शाम तक कन्या पूजन किया जा सकता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, दिन के पहले भाग में यानी दोपहर के 12 बजे से पहले कन्याओं को भोजन कराना सबसे शुभ माना जाता है।