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    Home » इंटरमिटेंट फास्टिंग सेहत के लिए फायदेमंद है या नहीं, जानें एक्सपर्ट की राय…
    स्वास्थ्य

    इंटरमिटेंट फास्टिंग सेहत के लिए फायदेमंद है या नहीं, जानें एक्सपर्ट की राय…

    By Tv36 HindustanJanuary 18, 2024No Comments5 Mins Read
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    नई दिल्ली:- आज के समय में मेटाबॉलिज्‍म को बढ़ाने देने के लिए आपको हर 2 से 3 घंटे में कुछ न कुछ खाना खाने की सलाह दी जाती है. मगर क्‍या कुछ घंटों में खाने से मेटाबॉल्जिम को बढ़ाने में मदद मिलती है? हर 3 घंटे में कुछ न कुछ खाने से मेटाबॉल्जिम बढ़ेगा या नहीं ये तो पता नहीं, परंतु ऐसे बार-बार खाने से दिन भर की कैलोरी जरूर बढ़ जाएगी. आपको हर कुछ घंटों में खाने की जगह हर 3 घंटे खाना चाहिए.

    शॉर्ट टर्म फास्टिंग का असर पूरे हेल्थ पर पड़ता है

    अधिक भोजन आपके  शरीर में विशेष रूप से अंगों के आसपास ज्यादा फैट का निर्माण करके आपको मेटाबॉलिक स्‍ट्रेस की तरफ ले जाता है और यह इंसुलिन प्रतिरोध को भी बढ़ावा देता है. ऐसे में फास्टिंग या उपवास एक इंसान की पूरी हेल्थ में सुधार करता है. जब आप खाना खाना बंद कर देते हैं, तो 12 घंटे से 36 घंटे तक कार्बोहाइड्रेट फ्यूल होता है. इसलिए आपका शरीर ऊर्जा के स्रोत के लिए फैट बनाता है, इसे “मेटाबॉलिक स्विच” कहते हैं. इसी वजह से इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान आपको अनुशंसित 16 घंटे के उपवास की सलाह दी जाती है, तो आइए आज हम आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग के समय और खाने के पैटर्न के बारे में बताने जा रहे हैं.

    इंटरमिटेंट फास्टिंग में खाने का तरीका

    क्‍या है इंटरमिटेंट फास्टिंग यह खाना खाने का एक पैर्टन है, जिसमें इंसान 12-16 घंटे तक खाना खाए बिना रहता है और खाना खाने का वक्त सिर्फ 6 या 8 घंटे का ही होता है. आपको यहां हम एक सामान्‍य इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्‍लान बता रहे हैं, जिसको अपनाकर कोई भी इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट पर स्विच करके इसकी शुरूआत कर सकता है. हम आपको यहां नीचे इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्‍लान बता रहे है, जिसे आप वजन घटाने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं-

    आप क्‍या खा और पी सकते हैं फास्टिंग के समय इसमें जब आप उपवास में करते हैं, जो कि आपको 16 घंटे तक करना होता है. इसमें बिना किसी मीठे के बिना सादा पानी, कैमोमाइल चाय, गुलाब की चाय, अदरक की चाय, काली चाय आदि ही पीने की अनुमति होती है. इसके अलावा, आप ताजी सब्जियों के जूस का सेवन सकते हैं. इन 16 घंटों के समय में आपको कोई पैक स्‍नैक्‍स, सब्जियों और फलों की भी अनुमति नहीं होती है.

    शुरुआती गाइड क्या है इंटरमिटेंट फास्ट की इसमें शुरुआत में लोगों को यह सुझाव दिया जाता है कि आप अपने लास्ट के खाने से 12 घंटे तक उपवास का लक्ष्य बनाएं और इसे 14 घंटे तक बनाएं रखने की कोशिश करें. फिर इसे 16 घंटे तक लेकर जाएं. आप धीरे-धीरे अपनी उपवास स्टेज को बढ़ाएं और सिरदर्द से बचने के लिए बहुत सारा पानी पिएं, जिससे आप अपने आपको हाइड्रेट रख सकें.

    कितनी बार करना चाहिए इंटरमिटेंट फास्ट? इसको आप 30 दिनों के लिए कर सकते हैं. अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो आप इसको 60 दिन और जो लोग वजन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं या दीर्घायु और बेहतर हेल्थ के लिए करना चाहते हैं, तो वह इसको हफ्ते में 2 दिन कर सकते हैं.

    क्‍या हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे? रिसर्च के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कम करने में मदद करता है और उम्र बढ़ने के लक्षणों को भी कम करता है. इसके अलावा यह दिल की हेल्थ में सुधार, मस्तिष्क के कार्यों में सुधार और किसी इंसान के जीवन को बढ़ाने में सहायक होता है. इसके साथ ही यह शरीर में इंफ्लेमेशन को कम करती है और इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार करने में उपयोगी है, इससे ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. यह डायबिटीज और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाने में मददगार है.

    इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने में कैसे मददगार है आपका शरीर पाचन प्रक्रिया में 70-80% जरूरी ऊर्जा खर्च करता है, जिससे आपके शरीर को ठीक रखने के लिए सिर्फ 20% ऊर्जा बची रहती है. इसलिए जब आप उपवास करते हैं, तो आप अपने शरीर को मरम्मत के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं. यह सीरम इंसुलिन के लेवल को नीचे लाता है जिसका मतलब है- यह इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर वसा को कम करने में मदद करता है. इसलिए एक निश्चित वक्त के लिए खाना खाने से कैलोरी को सीमित करने और भूख को कम करने में सहायता मिलती है और एक्‍सट्रा स्नैक्स से कैलोरी की मात्रा कम हो जाती है.

    इंटरमिटेंट फास्टिंग के कोई दुष्प्रभाव है जब तक आप हाइड्रेटिड रहते हैं और अच्छी तरह से संतुलित भोजन खाते है,  तब तक आपको इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है. इसलिए आपको समझना होगा कि, यह कैलोरी पर रोक लगाने वाला एक डाइट प्‍लान नहीं है, बल्कि यह खाने के पैटर्न को व्यवस्थित करने वाला दृष्टिकोण है.

    किसी अन्य फास्टिंग से कैसे अलग है इंटरमिटेंट फास्टिंग? इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब होता है रुक-रुक कर उपवास करना यानि कि खाने के पैटर्न रमजान के समान. ज्यादातर उपवास मे कैलोरी पर रोक लगी होती है परंतु इंटरमिटेंट फास्टिंग खाने के समय को सीमित करने में सहायक होता है. उपवास में कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से परहेज किया जाता है, जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग खाने के सेवन को लिमिटिड नहीं करता है, अगर कि खाना संतुलित और पौष्टिक होता है. वैसे तो उपवास के अगले दिन लोग अधिक खाते हैं, लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग में भूख और क्रेविंग कम होती है.

    कब बचना चाहिए इंटरमिटेंट फास्टिंग से ऐसे लोग जो इंसुलिन, कैंसर, वजन बढ़ाने में असमर्थ, स्तनपान कराने वाली माताओं, गर्भवती महिला, कुछ दवाओं पर निर्भर लोगों, जिनका ब्‍लड प्रेशर कम होता है, उन्‍हें इससे बचना चाहिए. इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करने से पहले हमेशा  अपने डॉक्‍टर से सलाह लें. इसके अलावा अगर आप अहेल्दी हैं, तो आपको किसी भी तरह के उपवास करने से बचना चाहिए. ऐसे में जरूरी है कि आप रात को हमेशा हल्‍का खाना खाएं क्‍योंकि भारी खाना खाने से थकान हो सकती है.

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