भोपाल:- देश में लोकसभा चुनावी की तैयारी शुरू हो चुकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही कहां बनती है?
क्या आप जानते हैं कि वोट देते समय आपकी ऊंगली पर जो स्याही लगाई जाती है, वो कौन सी कंपनी बनाती है और कहां पर बनाती है.
चुनाव में इस्तेमाल होने वाली ये नीली स्याही भारत में सिर्फ एक कंपनी बनाती आ रही है. इस कंपनी का नाम मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड है. बता दें कि यह कर्नाटक सरकार की कंपनी है और इसकी शुरुआत साल 1937 में हुई थी.
इस कंपनी की नींव नलवाड़ी कृष्णा राजा वाडियार ने रखी थी. हालांकि शुरुआत में इस कंपनी का नाम मैसूर लाक फैक्ट्री हुआ करता था. लेकिन 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस कंपनी को सरकर ने टेकओवर कर लिया था और इसका नाम मैसूर लाक एंड पेंट्स लिमिटेड रखा था.
जानकारी के मुताबिक 70 के दशक से आज तक सिर्फ इसी कंपनी को चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही बनाने की इजाजत है. इसके अलावा स्याही का फार्मूला भी सीक्रेट है और कंपनी किसी और के साथ इस फॉर्मूले को शेयर नहीं कर सकती है. जानकारी के मुताबिक एमपीवीएल नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री की मदद से ये स्याही तैयार करती है.
इसके अलावा देश में पहली बार 1962 के लोकसभा चुनाव में पारदर्शिता और फर्जी वोटिंग रोकने के लिए ऊंगली पर स्याही लगाने की शुरुआत हुई थी. इसके बाद से हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इस पक्की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है.
आज मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 25 और देशों को भी यह स्याही एक्सपोर्ट करती है. जानकारी के मुताबिक एमपीवीएल द्वारा तैयार की गई स्याही की एक शीशी से कम से कम 700 उंगलियों पर पक्की स्याही लगाई जा सकती है।