*मध्यप्रदेश:-* वास्तु शास्त्र के अनुसार हवन कराने से देवी-देवता तो प्रसन होते ही है. इसके साथ ही इससे वातावरण भी शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. लेकिन हवन कराते समय दिशा और नियम का खास ध्यान रखें.वास्तु शास्त्र के अनुसार हवन करने के लिए घर के अग्नि कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा को सबसे अच्छा माना जाता है. यह घर का वह हिस्सा होता है वहां दक्षिण और पूर्व दिशाएं मिलती हैं. वहीं हवन करने वाले व्यक्ति का मुख दक्षिण-पूर्व की तरफ होना चाहिए.यदि आप सही दिशा में हवन करते या कराते हैं तो इससे हवन से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इससे घर पर मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और समस्याओं का भी अंत होता है.हवन कराते समय पूजा नियमों का भी ध्यान रखें. जैसे हवन में एक अंगूठे से अधिक मोटी समिधा का इस्तेमाल न करें और ना ही समिधा 10 अंगुल लंबी हो. हवन में काले तिल का ही प्रयोग करें.हवन कराते समय पूजा नियमों का भी ध्यान रखें. जैसे हवन में एक अंगूठे से अधिक मोटी समिधा का इस्तेमाल न करें और ना ही समिधा 10 अंगुल लंबी हो. हवन में काले तिल का ही प्रयोग करें.हवन कुंड में अग्नि प्रजज्वलित करने के लिए लकड़ी का प्रयोग होता है. लेकिन ध्यान रखें कि इसमें केवल आम लकड़ी का ही प्रयोग करें. इसके अलावा आप चंदन या ढाक, पीपल की लकड़ी का भी प्रयोग कर सकते हैं. लेकिन लकड़ी साफ हो इसके दीमक या घुन न लगे हों और ना ही सड़ी हुई लकड़ी का हवन में प्रयोग करें.हवन कुंड में अग्नि प्रजज्वलित करने के लिए लकड़ी का प्रयोग होता है. लेकिन ध्यान रखें कि इसमें केवल आम लकड़ी का ही प्रयोग करें. इसके अलावा आप चंदन या ढाक, पीपल की लकड़ी का भी प्रयोग कर सकते हैं. लेकिन लकड़ी साफ हो इसके दीमक या घुन न लगे हों और ना ही सड़ी हुई लकड़ी का हवन में प्रयोग करें। हवन में अक्षत का भी प्रयोग जरूरी माना जाता है. इस बात का ध्यान रखें कि, हवन में देवताओं को 3 बार अक्षत चढ़ाया जाता है और पितरों को एक बार. वहीं घी का दीप देवताओं के बाईं ओर या अपने दाईं ओर रखें।