नई दिल्ली:- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में देहांत हो गया है. वे एक राजनीतिज्ञ के तौर पर कम एक अर्थशास्त्री के तौर पर अधिक जाने जाते रहे थे. यही वजह थी की तमाम राजनैतिक विरोधों के बावजूद विपक्षी नेता भी उन्हें भरपूर सम्मान देते थे. उनके व्यक्तित्व की सबसे खास बात उनका धीमे बात करने का अंदाज और सादगी थी. वे हमेशा ही आसमानी नीले रंग की पगड़ी पहनते थे. लेकिन मनमोहन सिंह हमेशा ही केवल और केवल नीले रंग की पगड़ी में दिखे. इसके पीछे एक खास वजह और एक खास कहानी थी.
सिखों में पगड़ियों का रंग
आमतौर पर ऐसा सिखों में किसी तरह का नियम नहीं है कि वे एक ही रंग का पगड़ी पहने. वैसे भी पगड़ियों में पीले रंग या बसंती की पगड़ी को ज्यादा पहना जाता है. कई बार केसरिया रंग की पगड़ी भी खूब देखी जाती है. लेकिन आम सिख कई रंग की पगड़ी पहनता है. इसमें आम लोगों में सफेद रंग की पगड़ी ज्यादा देखी जाती है. वहीं कई लोग अपनी वेशभूषा के रंग के मुताबिक पगड़ी के रंग को चुनते हैं. इसमें काली, पीली, लाल, हरी गुलाबी और नीले रंग की पगड़ी भी देखने को मिलती है.
पर केवल नीले रंग की पगड़ी
मनमोहन सिंह पर भी किसी तरह के रंग की पाबंदी नहीं थी. वे सिख तो थे, लेकिन वे कट्टर सिख भी नहीं ना ही वे केवल धर्म के प्रति समर्पित थे. कई सिख जो केवल अपने ही धर्म का कड़ाई से पालन करते हैं उनमें एक ही रंग की पगड़ी का नियम नहीं है, पर फिर भी वे पीले रंग की पगड़ी ज्यादा पहनते हैं. लेकिन अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह राजनीति में आने से पहले भी हमेशा ही नीली पगड़ी में दिखे.
तो क्या किसी विचारधारा का असर
मनमोहन सिंह एक शिक्षित और सरल व्यक्ति थे. लेकिन वे किसी एक खास विचारधारा से बंधे व्यक्ति नहीं लगते थे. कई लोग सोचते हैं कि अर्थशास्त्री होने के कारण उन पर मार्क्सवाद हावी होगा. लेकिन ना तो वे मार्क्सवादी थे ना ही उनकी पगड़ी लाल थी. भारत में नीला रंग पिछले कई दशकों से बहुजन समाज पार्टी से जुड़ा है, लेकिन मनमोहन की पगड़ी का रंग भी वैसा नीला नहीं था.
उन्होंने खुद किया इसका खुलासा
मनमोहन सिंह ने खुद साल 2006 में एक समारोह में इस बारे में बताया है कि उनकी पगड़ी रंग के पीछे क्या वजह है. यह मौका था जब कैम्ब्रिज ने उन्हें लॉ के डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा था. समारोह में प्रिंस फिलिप ने लोगों का ध्यान उनकी पगड़ी के रंग की तरफ दिलाया था. प्रिस फिलिप ने कहा था इनकी पगड़ी का रंग देखिए. इस पर दर्शकों ने तालियां बजाई थीं. तब सिंह ने इसकी कहानी खुद बताई थी.
तो क्या है उनकी पगड़ी के रंग की कहानी
डॉ सिंह ने पगड़ी के रंग को अपना फेवरेट बताते हुए कहा कि जब वे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ा करते थे, तब भी वे इसी रंग की पगड़ी पहना करते थे और इसलिए उनके साथी उन्हें ब्लू टर्बन निकनेम से यानी नीली पगड़ी वाला बुलाने लगे थे. उन्होंने साफ किया कि यह रंग उनकी व्यक्तिगत पसंद है और इसका किसी पंथ या विचारधारा से कोई लेना देना नहीं है.