नई दिल्ली:– शुभांशु शुक्ला टार्डिग्रेड नामक जीव को अंतरिक्ष में लें जा रहे हैं इस जीव को वॉटर बियर या मॉस पिगलेट भी कहा जाता है, एक सूक्ष्म जीव है जो आकार में बेहद छोटा होता है, लेकिन इसकी सबसे खास बात यह है कि यह जीव धरती पर सबसे कठोर परिस्थितियों में भी जिंदा रह सकता है, ये -200°C की ठंड और 150°C की गर्मी भी झेल सकता है
टार्डिग्रेड बाकी लोगों की तुलना में सैकड़ों गुना अधिक रेडिएशन भी सह सकता है, और अंतरिक्ष में ये 30 सालों से अधिक समय तक बिना कुछ खाए-पिए रह सकता है, ये जीव समुद्र में पाए जाते हैं, जिसकी खोज 1773 में योहन गेट्जा नामक जीव वैज्ञानिक ने की थी
शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम इस जीव को अंतरिक्ष में इसलिए ले जा रही है ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि ये जीव किस तरह से अंतरिक्ष की शून्यता, गुरुत्व हीनता और रेडिएशन जैसी खतरनाक परिस्थितियों में सर्वाइव कर सकता है
शोधकर्ता मानते हैं कि यदि टार्डिग्रेड जैसे जीव इतने कठिन माहौल में भी सर्वाइव कर सकते हैं, तो उनसे जुड़े जीववैज्ञानिक गुण और DNA मरम्मत तंत्र मानव जीवन को भी स्पेस में अधिक सुरक्षित बना सकते हैं, शुभांशु का यह प्रयोग भविष्य में मानव जीवन को अंतरिक्ष में टिकाऊ बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है
Axiom-4 मिशन एक कमर्शियल मिशन है, जिसमें शुभांशु और उनके 3 साथी प्राइवेट एस्ट्रोनॉट्स के रूप में अंतरिक्ष स्टेशन जाएंगे, यह मिशन सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं बल्कि भारत के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि इसमें भारतीय वैज्ञानिक नेतृत्व कर रहे हैं