नई दिल्ली :- आषाढ़ मास में हर वर्ष निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा ओडिशा के पुरी नगर में श्रद्धा और उत्सव का अद्वितीय संगम लेकर आती है. यह यात्रा केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक मानी जाती है. इस वर्ष रथ यात्रा 26 जून को आरंभ हुई और 27 जून तक चलेगी. इस भव्य आयोजन में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर विराजमान होकर पुरी के श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर तक की यात्रा करते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर माना जाता है.
रथ यात्रा से जुड़े प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान
अक्षय तृतीया: इस दिन से रथ निर्माण की शुरुआत होती है. पुरी के कारीगर पवित्र लकड़ी से रथों को बनाना प्रारंभ करते हैं.
स्नान पूर्णिमा: देवताओं को 108 पवित्र कलशों से स्नान कराया जाता है, जिसके बाद माना जाता है कि वे अस्वस्थ हो जाते हैं और एकांत वास (अनवसर) में चले जाते हैं.
अनवसर काल: यह एकांत वास लगभग 15 दिनों तक चलता है, जहां देवता आम भक्तों को दर्शन नहीं देते.
नेत्रोत्सव: रथ यात्रा की पूर्व संध्या पर देवताओं के नेत्रों का विशेष अनुष्ठान होता है, जिसमें उनके ‘नए रूप’ का दर्शन कराया जाता है.
घर बैठे ऐसे पाएं पुण्यफल
दिल्ली के वैदिक ज्योतिष और वास्तु एक्सपर्ट आदित्य झा का कहना है कि, जो लोग पुरी जाकर यात्रा में शरीक नहीं हो सकते, वे घर बैठे भी इस दिव्य आयोजन से जुड़ सकते हैं, रथ यात्रा का सीधा प्रसारण कई टीवी चैनलों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है. यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के नामों का जाप करें. “जय जगन्नाथ” का स्मरण करने से भी पुण्य फल प्राप्त होता है.
घर पर पूजा-अर्चना कैसे करें
आदित्य झा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं या चित्र घर में स्थापित करें. सुबह और शाम उन्हें पुष्प, तुलसी दल और भोग अर्पित करें. खिचड़ी, दालमा, और छेना पोड़ा जैसे ओडिशा के पारंपरिक भोग भगवान को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं, उन्हें ज़रूर अर्पित करें.
दान-पुण्य और व्रत का महत्व
रथ यात्रा के समय दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, या धन का दान करें. साथ ही, आप उपवास रखकर अपनी भक्ति और सेवा को और भी गहरा बना सकते हैं.