नई दिल्ली :- इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर से आरंभ हो रहे हैं। यह 11 अक्तूबर तक चलेंगे। इस वर्ष माता पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। वैसे साल में चार नवरात्र आते हैं। इसमें से चैत्र और शारदीय नवरात्र महत्वपूर्ण माने गए हैं। माघ और आषाढ़ के नवरात्र गुप्त माने जाते हैं। इनमें योगी गुप्त व्रत रखते हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्र आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 3 अक्तूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहे हैं। प्रतिपदा तिथि तीन अक्तूबर की अर्ध रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो रही है और चार अक्तूबर की रात 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। इन नौ दिनों में उपवास रखकर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तसती का पाछ, दुर्गा स्त्रोत और दुर्गा चालीसा के साथ राम चरितमानस का भी पाठ किया जाता है। भक्ति भाव से आराधना करने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं।नवरात्रि के पहले दिन कई लोग जौ की बुवाई करते हैं।
हमारे शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की शुरुआत के बाद जौ पहली फसल थी, इसलिए जब भी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, तो हवन में जौ चढ़ाया जाता है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि जौ को ब्रह्म माना जाता है और हमें अनाज का सम्मान करना चाहिए। जौ किस तेजी से बढ़ रहा है इसके पीछे कई शुभ और अशुभ संकेत छिपे होते हैं।
जौ देते हैं भविष्य के संकेत-
जौ का तेजी से बढ़ना घर में सुख समृद्धि का संकेत माना जाता है। अगर जौ घनी नहीं उगती है या ठीक से नहीं उगती है तो इसे घर के लिए अशुभ माना जाता है। अगर जौ काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगती है तो अशुभ माना जाता है।
मान्यता है कि जब जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा हो तो इसका मतलब आने वाले साल का आधा समय ठीक रहेगा. इसी के साथ जौ का रंग नीचे से आधा हरा और ऊपर से आधा पीला हो, इसका मतलब है कि साल की शुरुआत अच्छी होगी, लेकिन बाद में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. वहीं अगर आपकी बोई हुई जौ सफेद या हरे रंग की हो रही है तो यह बहुत शुभ माना जाता है।