रायपुर:– हिंदू धर्म और कई सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, थाली में जूठा छोड़ना एक बड़ा पाप माना जाता है. यह सिर्फ भोजन की बर्बादी नहीं, बल्कि अन्न का अपमान है. अन्न का सीधा संबंध देवी अन्नपूर्णा से माना जाता है, इसलिए यह आदत उनके अनादर के समान है. कहा जाता है कि यह आदत व्यक्ति और परिवार दोनों के लिए अशांति, दुर्भाग्य और आर्थिक परेशानी लाती है.
किस तरह के पाप का सामना करना पड़ता है?
भोजन में देवी अन्नपूर्णा का वास होता है. जूठा छोड़ना उनका अपमान है, जिससे घर की बरकत कम होने लगती है.
अन्न का सम्मान न करने से सुख-समृद्धि दूर हो जाती है. इसका असर दरिद्रता और आर्थिक तंगी के रूप में दिख सकता है.
मान्यता है कि जूठा छोड़ने से पितर भी नाराज हो जाते हैं. इससे परिवार में बेवजह की परेशानियां और मानसिक अशांति बनी रहती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अन्न का अपमान करने वाले पर शनि देव और अन्य ग्रहों का बुरा प्रभाव पड़ता है. इसका परिणाम जीवन में संघर्ष और कठिनाइयों के रूप में सामने आता है.
इस आदत का असर बच्चों के भविष्य, पढ़ाई और सेहत पर भी नकारात्मक हो सकता है.
मान्यता है कि जो लोग जानबूझकर अन्न का अपमान करते हैं, उन्हें अगले जन्मों में भूखा रहना पड़ सकता है या दूसरों का झूठा खाना पड़ सकता है.
कौन बनता है पाप का भागीदार?
इस पाप का भागीदार वही होता है जो अपनी थाली में जूठा छोड़ता है. हालांकि, इसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है. खासकर बच्चे अगर यह आदत अपनाते हैं, तो उन्हें भी इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. सामूहिक भोज या सार्वजनिक जगह पर अन्न का अपमान करने से पूरे समाज में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है।