नई दिल्ली। गत वर्ष रूस-युक्रेन तथा इजरायल-हमास के बीच छिड़ा खूनी संघर्ष अभी थमा नहीं है. 2021 में भी म्यांमार में सैन्य तख्तापलट ने आंग-सान-सू के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से चुनी सरकार को उखाड़ फेंकने से व्यापक विरोध शुरू हुआ, जो देखते-देखते सशस्त्र प्रतिरोध में बदल गया. ऐसी ही परिस्थितियों से निजात पाने और आम जनजीवन में शांति को बहाल रखने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 23 फरवरी को विश्व शांति और समझ दिवस मनाया जाता है.
विश्व शांति और समझ दिवस का रोचक इतिहास
विश्व में शांति और सद्भावना को विकसित करने हेतु 23 फरवरी 1905 शिकागो शहर की यूनिटी बिल्डिंग के रूम 711 में 4 शख्सियत मिलीं. ये थे पॉल हैरिस, गुस्तावस लोएहर, सिल्वेस्टर शिएले और हीराम शोरे लोहर. वस्तुतः अटॉर्नी पॉल हैरिस एक प्रोफेशनल संघ बनाना चाहते थे. इनकी मुलाकातें होती रहीं. उन्होंने अपने ग्रुप को रोटरी क्लब नाम दिया. धीरे-धीरे अपने मानवीय मूल्यों को साझा करने वाले अन्य लोग भी क्लब से जुड़ने लगे. साल 1922 में इसे इंटरनेशनल रोटरी क्लब नाम दिया गया. शीघ्र ही यह क्लब दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी संगठन के रूप में जाना जाने लगा. इसी संगठन की याद में प्रत्येक वर्ष विश्व शांति एवं समझ दिवस मनाया जाता है.
विश्व शांति और समझ दिवस का महत्व
शांति, सद्भावना और समझ का आशय शत्रुता और हिंसा को दूर कर सामाजिक मित्रता और सद्भावना को बढ़ावा देना है. आज विभिन्न देशों के बीच चल रहे खतरनाक युद्ध एवं वैमनस्य को देखते हुए दुनिया भर में शांति और सामान्य समझ को विकसित करने के उद्देश्य से यह बेहद महत्वपूर्ण दिवस है. इस दिवस विशेष पर दुनिया में भर शांति और समझ विकसित करने के लिए प्रयासों को बढ़ावा दिया जाता है. सामाजिक अर्थों में, शांति का अर्थ संघर्ष की कमी और व्यक्तियों या समूहों के बीच व्याप्त हिंसा के डर से मुक्ति दिलाता है.
विश्व शांति में भारत का योगदान
दुनिया भर में शांति और समझ को लेकर भारत सबसे जिम्मेदार देशों में देखा जाता है. स्वतंत्रता संग्राम से आजादी पाने तक और आज भी भारत दुनिया के अशांत देशों में हर पल शांतिपूर्ण संधि के लिए प्रयासरत रहा है. आज यूनाइटेड नेशन की पीसकीपिंग आर्मी में तीसरा सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन भारत का है, जो 43 से ज्यादा ऑपरेशन को अंजाम दे चुकी है. पिछले दिनों यूएन ने सूडान में भारतीय पीसकीपिंग आर्मी के काम के लिए सराहना की गई और हाल ही में यूएन ने यमन में अपने मिशन के मुखिया के तौर पर भारतीय सेना के ले.
जनरल अभिजीत गुहा को नियुक्त किया है. गौरतलब है कि विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने हिटलर को चिट्ठी लिखते हुए अहिंसा का मार्ग चुनने की बात कही थी. महात्मा गांधी का यह पत्र विश्व शांति के भाव से ही प्रेरित था. वह मानते थे कि ‘आंख के बदले आंख’ की नीति पूरी दुनिया को अंधा बना देगी. यही नहीं विश्व शांति के क्षेत्र में भारतीय कोशिश आज भी जारी है. कोरिया वॉर से लेकर गुट निरपेक्ष आंदोलन तक, भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विश्व शांति के पक्ष में रहा है.