मध्यप्रदेश:– पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और इस समय लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं. इस दौरान हर घर में पूजा, तर्पण और श्राद्ध का खास महत्व होता है. मान्यता है कि इस समय पूर्वज धरती पर आते हैं और उनके लिए किए गए कर्म, दान और भोजन को स्वीकार करते हैं. इस वजह से पितृ पक्ष में खानपान और रोजमर्रा की आदतों को लेकर कई नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना जरूरी माना जाता है.
इन नियमों का संबंध सीधे तौर पर श्रद्धा और शुद्धता से होता है. खासकर भोजन की तैयारी और उसे स्टोर करने को लेकर सख्ती से ध्यान रखने की परंपरा है. इन्हीं में से एक नियम है कि पितृ पक्ष के दौरान गूंथे हुए आटे को फ्रिज में नहीं रखना चाहिए. आज हम आपको इसी के बारे में बतायेंगे कि इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण क्या हैं.
धार्मिक कारण पितृपक्ष श्राद्ध पक्ष हिंदू धर्म में पूर्वजों को श्रद्धा से स्मरण करने और उनका तर्पण, पिंडदान आदि करने का विशेष काल होता है. इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक माना गया है.
शुद्धता का विशेष महत्व: पितृपक्ष में भोजन बनाते समय और श्राद्ध करते समय शुद्धता पवित्रता का बहुत महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि जो भी अन्न पूर्वजों को अर्पित किया जाता है, वह पूर्णतः ताज़ा और शुद्ध होना चाहिए. गूंथा हुआ आटा, जब रात भर फ्रिज में रखा जाता है, तो उसे “बासी” मान लिया जाता है, जो श्राद्ध भोजन के लिए अनुपयुक्त होता है.
देवता और पितृ बासी अन्न स्वीकार नहीं करते: धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि देवता और पितृगण बासी, दूषित या जूठे अन्न को स्वीकार नहीं करते. इसलिए फ्रिज में रखा गूंथा हुआ आटा या उससे बनी रोटियां पितृपक्ष के दौरान निषेध मानी जाती हैं.
नकारात्मक ऊर्जा:
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रात में रखा बासी आटा या अन्न नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है. पितृपक्ष जैसे पवित्र काल में ऐसी ऊर्जा के संपर्क से बचने की सलाह दी जाती है.
वैज्ञानिक कारण
बैक्टीरिया और फंगस का विकास: गूंथा हुआ आटा, यदि लंबे समय तक फ्रिज में रखा जाए, तो उसमें बैक्टीरिया और फफूंदी पनपने की संभावना रहती है. भले ही वह दिखे नहीं, लेकिन सूक्ष्मजीव उसमें सक्रिय हो सकते हैं. इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
ग्लूटेन डिग्रेडेशन:
गूंथे हुए आटे में मौजूद ग्लूटेन समय के साथ टूटने लगता है, जिससे आटे की गुणवत्ता गिरती है और उसका पोषण भी कम हो जाता है.
स्वाद और पोषण में कमी: बासी आटे से बनी रोटियों में ताज़ी रोटियों की तुलना में स्वाद, पोषण और पाचन क्षमता में कमी आती है. विशेषकर बुज़ुर्गों और बच्चों के लिए यह हानिकारक हो सकता है.
रोज़ाना ताज़ा आटा गूंथकर ही रोटियां बनाएं.
श्राद्ध में पका हुआ भोजन उसी दिन बनाएं और उसी दिन उपयोग करें.
बासी अन्न या जूठन से बचें.