इंटरनेट, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर समेत अलग-अलग सेक्टर में एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है. मानव अंग के ट्रांसप्लांट और 3D प्रिंटिंग में एआई की अहम भूमिका है. ऐसे में क्या इंसान 60-70 सालों के बजाय एआई के जरिए 100-150 या फिर हजार सालों तक जी पाएगा? यह एक ऐसा सवाल है जो एआई की काबिलियत के लिए काफी अहम है. स्टैनफोर्ड के प्रोफेसर अनुराग मैराल ने हेल्थकेयर सिस्टम में एआई की भूमिका पर बात की. उन्होंने बताया कि किस तरह दुनिया भर के हेल्थकेयर सिस्टम को एआई के जरिए बेहतर बनाया जा सकता है. इससे इंसानों की लाइफ बेहतर होगी, और जीवन स्तर के साथ औसत उम्र भी बढ़ेगी.
AI से बदलेगी फिल्म और दुनिया की तस्वीर, ये दिग्गज बताएंगे प्लानWITT: AI से बदलेगी फिल्म और दुनिया की तस्वीर, ये दिग्गज बताएंगे प्लानक्या 1000 साल जिंदा रहेगा इंसान?अनुराग मैराल ने बताया कि 27 साल पहले जब वे फ्यूचर टॉक वेब में शामिल होते थे, तो रीडर कहते थे कि हम टेक्नोलॉजी के जरिए 150 साल तक जिंदा रह सकते हैं. अभी जो टेक्नोलॉजी हमारे पास है, और जो अगले दो साल में हमारे पास होगी, उनके साथ हम हजार साल तक जी सकेंगे. मगर क्या इसका यह मतलब है कि जैसे इंसान अभी जी रहा है, तब भी कुछ वैसा होगा? अभी इसकी सच्चाई का पता नहीं है.
एआई से सुधरेगा हेल्थकेयर सिस्टमहेल्थकेयर सेक्टर में एआई पर बात करते हुए प्रोफेसर मैराल ने कहा कि इससे हेल्थकेयर सर्विस बेहतर हुई है. दुनिया में 5 अरब लोगों के पास बेहतर इलाज की सुविधा नहीं है. लेकिन इंडिया में आयुष्मान भारत योजना ने अच्छा काम किया है. एआई की मदद से लोगों तक हेल्थकेयर सर्विस पहुंची है. एआई के जरिए हम मेडिकल सेक्टर को और बेहतर कर सकते हैं.उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में भारत में कई लोग प्रभावित हुए. मगर हेल्थकेयर और आशा वर्कर ने जमीनी स्तर पर काम किया.
अगर एआई का सही इस्तेमाल किया जाए तो हेल्थकेयर सर्विस को लोगों के घर तक लाया जा सकता है. बीमारी का पता लगाने और प्राथमिक सुविधा देने में एआई मदद कर सकता है.एआई से डेटा कलेक्शनप्रोफेसर अगर 80 से 90 फीसदी लोगों तक हेल्थ वर्कर पहुंचेंगे तो उन्हें एकदम से ICU या बड़े अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं होगी. एआई टेक्नोलॉजी से डेटा कलेक्शन बेहतर किया जा सकता है. इससे हेल्थकेयर सिस्टम में सुधार होगा और बीमारियों का समय रहते पता लगेगा.
