भोपाल:– भारत में हर दूसरा युवा आज किसी न किसी वजह से लोन लेने की सोच रहा है. कभी बिज़नेस शुरू करने के लिए, तो कभी घर या गाड़ी खरीदने के लिए. लेकिन जब क्रेडिट स्कोर सिर्फ 650 हो और जरूरत हो ₹5 लाख की फंडिंग की, तो सबसे बड़ा सवाल उठता है, क्या बैंक इस पर भरोसा करेंगे।
लोन मिल सकता है लेकिन शर्तों के साथ
650 का क्रेडिट स्कोर बैंकों और NBFCs के लिए “रिस्की” कैटेगरी में आता है. इसका मतलब यह है कि ग्राहक ने पहले किसी न किसी भुगतान में लापरवाही की होगी, EMI मिस की होगी या क्रेडिट कार्ड के बकाए को समय पर नहीं चुकाया होगा. ऐसे हालात में बैंक लोन तो मंजूर कर सकते हैं,
क्या कहता है RBI और बैंकिंग नियम?
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने किसी भी लोन के लिए न्यूनतम क्रेडिट स्कोर तय नहीं किया है. लेकिन आमतौर पर बैंक 750 या उससे ऊपर के स्कोर को “सेफ” मानते हैं. ऐसे ग्राहकों को कम ब्याज दर पर तुरंत लोन मिल जाता है. वहीं, 650 वाले आवेदकों पर बैंकिंग संस्थान दोबारा सोचते हैं और अक्सर ज्यादा सख्त शर्तें लागू करते हैं.
इनकम स्ट्रॉन्ग है तो बढ़ सकती है संभावना
क्रेडिट स्कोर ही एकमात्र पैमाना नहीं है. यदि आवेदक की आय स्थायी और पर्याप्त है, तो बैंक उसे लोन देने का जोखिम उठा सकते हैं. उदाहरण के लिए, किसी का स्कोर 650 है लेकिन उसकी सैलरी ₹80,000 प्रतिमाह है, तो बैंक उसे ₹5 लाख तक का लोन मंजूर कर सकते हैं.
क्रेडिट स्कोर सुधारने के आसान तरीके
भविष्य में लोन लेने की सोच रहे लोगों के लिए जरूरी है कि वे अभी से अपना स्कोर सुधारें. इसके लिए:
समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड बिल चुकाएं
बार-बार नया लोन लेने से बचें
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सीमित रखें
पुराने कर्जों का निपटारा करें
कम स्कोर वाले लोग चाहे तो किसी को-आवेदक जॉइंट लोन के साथ आवेदन कर सकते हैं, जिसका क्रेडिट स्कोर बेहतर हो. कुछ NBFCs और डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म भी वैकल्पिक डेटा जैसे बिजली बिल, किराया भुगतान, मोबाइल रिचार्ज के आधार पर क्रेडिटवर्द्धता का आकलन करते हैं.