नई दिल्ली। हृदय रोग गंभीर समस्याओं और वैश्विक स्तर पर मृत्य के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। हर साल हृदय से संबंधित तमाम बीमारियों-हार्ट अटैक के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक के मामले और भी अधिक देखे जा रहे हैं। आश्चर्यजनक तौर पर कम उम्र के लोगों में भी ये मौत का कारण बनती जा रही है।
पर क्या आप जानते हैं कि लिंग के आधार पर हृदय रोगों का खतरा कम और अधिक भी हो सकता है?
हार्वर्ड हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक कम उम्र में पुरुषों को महिलाओं की तुलना में हृदय रोग का अधिक खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लिंग के आधार पर हार्ट की समस्याओं का जोखिम कई कारकों पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं कि पुरुषों में इस गंभीर रोग का खतरा क्यों अधिक होता है और इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ज्यादातर अध्ययन इस बात की तरफ संकेत देते हैं कि पुरुषों को महिलाओं की तुलना में हार्ट अटैक का जोखिम अधिक हो सकता है। पुरुषों में धूम्रपान और तनाव जैसी अस्वास्थ्यकर आदतें इस जोखिम को बढ़ाने वाली मानी जाती हैं। वहीं रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है जिस तरह से लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी की समस्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में दोनों लिंग- महिला और पुरुष को इस गंभीर रोग से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। हृदय रोग को लेकर अपने जोखिम कारकों को समझना और इससे बचाव करना आवश्यक है।
हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं भिन्न
अध्ययनकर्ता बताते हैं, महिला और पुरुष दोनों में हार्ट अटैक के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं।
हार्वर्ड विशेषज्ञ कहते हैं, महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में मितली, चक्कर आने और थकान जैसे असामान्य लक्षण होने की संभावना अधिक होती है। जबकि पुरुषों में छाती में दर्द, पसीना आने, जबड़ों में दर्द की भी दिक्कत अधिक देखी जाती रही है।
एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लोगों को दिल के दौरे का इलाज कराने से पहले कितनी देर का अंतर रहा, इसे समझने की कोशिश की। महिलाओं के लिए औसतन देरी का समय लगभग 54 घंटे पाया गया, जबकि पुरुषों के लिए यह लगभग 16 घंटे था।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने महिलाओं में दिल के दौरे के बारे में जारी बयान में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानताओं को उजागर किया। उदाहरण के लिए, पहले हार्ट अटैक के एक साल के भीतर, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जीवित रहने की दर कम होती है। पांच वर्षों के भीतर पहली बार दिल का दौरा पड़ने वाली 47% महिलाओं में मौत का खतरा देखा गया।
हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 50,000 लोगों पर किए गए एक हालिया अध्ययन इन असमानताओं के संभावित कारण पर प्रकाश डालता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरुषों की तुलना में, महिलाओं को एस्पिरिन और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली संभावित लाभकारी दवाएं मिलने या धूम्रपान छोड़ने के बारे में सलाह मिलने की संभावना कम होती है।
डॉक्टर कहते हैं, अध्ययन के रिपोर्ट से इतर यह समझना जरूरी है कि समय के साथ लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण किसी भी उम्र के व्यक्ति में हृदय रोग और इसके कारण मौत का खतरा हो सकता है। आनुवांशिकी के साथ ब्लड प्रेशर और ब्लड कोलेस्ट्रॉल की समस्याओं के कारण कम आयु के लोग भी इसके शिकार होते जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बाद हार्ट की दिक्कतें और भी बढ़ गई हैं, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।