रायपुर:– विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल 17 सितंबर को सूर्य संक्रांति के दिन मनाया जाता है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होता है, जिन्हें ब्रह्मांड का प्रथम अभियंता और वास्तुकार माना जाता है। 2025 में भी यह पूजा 17 सितंबर को ही पड़ रही है, और इस अवसर पर कारीगर, इंजीनियर, वास्तुकार और विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लोग अपने औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों की पूजा करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?
भगवान विश्वकर्मा को हिंदू ग्रंथों में सृष्टि के रचयिता के रूप में वर्णित किया गया है। वे भगवान ब्रह्मा के वंशज माने जाते हैं। कुछ ग्रंथों के अनुसार, वे ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र थे, जबकि अन्य में उन्हें ब्रह्मा के मानस पुत्र धर्म से उत्पन्न वास्तुदेव के पुत्र के रूप में बताया गया है। उनका जन्म भाद्रपद मास की कन्या संक्रांति पर हुआ था, जो हमेशा 17 सितंबर को आता है।
भगवान विश्वकर्मा को ‘ब्रह्मांड का वास्तुकार‘ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने सृष्टि को संरचित और आकर्षक रूप दिया। उन्होंने स्वर्ग लोक, इंद्र पुरी, कुबेर पुरी जैसी देवनगरियों का निर्माण किया। इसके अलावा, सोने की लंका, जो कुबेर के लिए बनाई गई थी लेकिन बाद में रावण ने हड़प ली, और पुष्पक विमान, जो दुनिया का पहला विमान माना जाता है, भी उनकी रचनाएं हैं। रामायण में पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है।
देवताओं के अस्त्र-शस्त्र जैसे विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिव का त्रिशूल, इंद्र का वज्र, यमराज का कालदंड भी विश्वकर्मा जी ने ही बनाए थे। द्वारिका नगरी, जो समुद्र में स्थित थी, का निर्माण भी उन्होंने भगवान कृष्ण के लिए किया। ये
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
विश्वकर्मा पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि यह दिन कारीगरों और तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए विशेष होता है। इस दिन पूजा करने से कार्य में बाधाएं दूर होती हैं, औजारों और मशीनों की सुरक्षा होती है, और व्यवसाय में उन्नति मिलती है। 2025 में यह पूजा 6 शुभ संयोगों में मनाई जा रही है: इंदिरा एकादशी, कन्या संक्रांति, बुधवार व्रत, परिघ योग, पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र।
विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त 2025
2025 में विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त निम्नानुसार है:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:33 से 5:20 तक। इस समय स्नान और तैयारी करें।
लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 6:07 से 7:39 तक।
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 7:39 से 9:11 तक।
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 10:43 से दोपहर 12:15 तक।
शाम का लाभ-उन्नति मुहूर्त: दोपहर 4:52 से शाम 6:24 तक।
राहुकाल: दोपहर 12:15 से 1:47 तक, जिसमें पूजा वर्जित है।
विश्वकर्मा पूजा सामग्री
विश्वकर्मा जी की मूर्ति या फोटो
लाल या पीला कपड़ा
लकड़ी की चौकी
धूप, दीप, अक्षत, चंदन
पंचामृत, नैवेद्य, मौसमी फल, मिठाई
नारियल, पान का पत्ता, सुपारी, इलायची, लौंग
हवन सामग्री, आम के पत्ते
जपने के लिए महत्वपूर्ण मंत्र
पूजा का मुख्य हिस्सा हैं। इन मंत्रों का जाप करके भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त की जाती है। यहां कुछ प्रमुख मंत्र दिए जा रहे हैं:
ॐ विश्वकर्मणे नमः – यह मूल मंत्र है, जो विश्वकर्मा जी को समर्पित है।
ॐ आधार शक्तपे नमः – सृष्टि की आधार शक्ति को नमन।
ॐ श्री विश्वकर्माय नमः – शिल्पकार को समर्पित।
ॐ कूमयि नमः – रचनात्मकता के लिए।
ॐ अनन्तम नमः – अनंत शक्ति के लिए।
ॐ पृथिव्यै नमः – पृथ्वी को नमन।
इन मंत्रों का जाप पूजा के दौरान कम से कम 108 बार करें। इससे मन शांत होता है और कार्य में एकाग्रता बढ़ती है। मंत्र जाप के समय ध्यान रखें कि उच्चारण शुद्ध हो।