नई दिल्ली:– शंक जैसे दिखने वाले नीले फूल हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। तभी, इसका पौधा उगाने की चाहत हर किसी में होती है। लेकिन कई बार लोग गमले में पौधा उगाते हैं मगर फूल नहीं खिलने पर परेशान होते हैं। हालांकि 2 चीज डालकर आप पौधे को फूलों से भर सकते हैं।
अपराजिता का पौधा सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए ही नहीं जाना जाता। बल्कि इसे घर में लगाना शुभ होता है और औषधीय गुण भी हैं। इसके गहरे नीले या सफेद फूल देखने में किसी नीलमणि से कम नहीं लगते। शंक जैसी बनावट होने की वजह से शंखपुष्पी भी कहा जाता है। लेकिन कई बार गमले में पौधा तो हरा-भरा होता है, पर फूल कम आते हैं।
हालांकि यूट्यूब पर कविता की बगिया से मिला एक आसान और प्राकृतिक नुस्खा मिला है। इसमें केवल दो ‘फ्री’ की घरेलू चीजों का इस्तेमाल करके अपराजिता के पौधे की हर डाल को नीले फूलों से भर सकते हैं। ये दोनों चीजे हमेशा ही किचन में मौजूद रहती हैं तो आपको एक रुपये भी खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
अपराजिता को खिलने के लिए रोजाना कम से कम 6 घंटे की सीधी धूप चाहिए। पौधा छाया में रहेगा, तो पत्तियां बढ़ेंगी लेकिन फूलों की संख्या कम हो जाएगी।
अपराजिता को थोड़ी एसिडिक मिट्टी पसंद होती है। गमले की मिट्टी को हल्का अम्लीय बनाए रखना ही ज्यादा फूल पाने का पहला राज है।ओवरवाटरिंग से पौधे की जड़ें
गमले में पानी रुकना नहीं चाहिए। पानी तभी दें जब ऊपरी मिट्टी सूख जाए। सड़ जाती हैं और फूल आना बंद हो जाता है।
दूसरी ‘फ्री’ की चीज
दूसरी ‘फ्री’ की चीज
हल्दी एक प्राकृतिक एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल एजेंट है। मानसून में जब नमी ज्यादा होती है, तब जड़ों के सड़ने या मिट्टी में फंगस लगने का खतरा बढ़ जाता है, जबकि हल्दी मिट्टी को बचाती है और इम्यून सिस्टम मजबूत करती है। आप महीने में एक बार लगभग आधा चम्मच हल्दी पाउडर गमले की मिट्टी में डालकर गुड़ाई कर दें। मिट्टी को हेल्दी रखेगा और फूल आने के लिए मदद करेगा।
वैसे गार्डनिंग एक्सपर्ट कविता ने दोनों खाद को एक साथ डालने का तरीका बताया है यहाँ आप अपनी पसंद के हिसाब से तरीका अपना सकते हैं। खाद डालने से पहले सुनिश्चित करें कि गमले की मिट्टी पूरी तरह से सूखी हो। अब मिट्टी की गुड़ाई करने दे बाद 1 से 2 चम्मच सूखी चाय पत्ती और आधा चम्मच हल्दी पाउडर दोनों को मिलाकर मिट्टी में डाल दें।
होता है। हालांकि, हल्दी और चाय पत्ती सीधे फास्फोरस नहीं देते, लेकिन वे इसे प्रभावी बनाने में मदद करते हैं। दरअसल हल्दी जड़ों को फंगस से बचाकर हेल्दी रखती है, जिससे मिट्टी में मौजूद फास्फोरस को बेहतर ढंग से अवशोषित कर पाती हैं। जबकि चाय पत्ती से बनी हल्की एसिडिक मिट्टी, फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों को पौधे के लिए अधिक उपलब्ध कराती है।