उत्तर रेलवे चूहों के उत्पात से इस कदर परेशान है कि उसने 168 चूहे पकड़ने के लिए 3 साल में 69 लाख रुपये फूंक दिए। बावजूद इसके चूहों के आतंक से उसे मुक्ति नहीं मिल पाई। रेलवे ने 1 चूहा पकड़ने के पीछे औसतन 41 हजार रुपये बहा दिए। ये चौंकाने वाला जानकारी उत्तर रेलवे ने चंद्रशेखर गौर नाम के एक शख्स को एक आरटीआई के जवाब में दी है। मीडिया में खबर आने के बाद हड़कंप मच गया है। अब रेलवे ने इस पर बयान जारी किया है।
रेलवे ने चूहा पकड़ने का ठेका सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दिया गया था। ठेका कंपी ने तीन साल तक चूहा पकड़ने का अभियान चलाया। इस दौरान उसने 168 चूहे पकड़े। आरटीआई के मुताबिक रेलवे ने चूहे पकड़ने में एक साल में 23,16,150.84 ( तेइस लाख 16 हजार 1 सौ 50 रुपये 84 पैसे) रुपये खर्च किए। यानी कि 3 साल में रेलवे ने 69,48,542.52 रुपये खर्च किए।
चूहे पकड़ने का यह अभियान साल 2020 में शुरु हुआ। पहले साल में 83 चूहे पकड़े गए। उसके बाद के साल में इसकी दर आधी हो गई। दूसरे साल 2021 में 45 चूहे पकड़े गए। इसका औसतन खर्च प्रति चूहा 51 हजार रुपये आया। इसी तरह साल 2022 में 40 चूहे पकड़े गए। इस लिहाज से साल 2022 में एक चूहे को पकड़ने 57,900 रुपये फूंके गए।