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    पहली बार अंतरिक्ष में लॉन्च होगा लकड़ी से बना सैटेलाइट, आखिर लकड़ी के सेटेलाइट की जरूरत क्या है, जानिए…..

    By Tv36 HindustanFebruary 19, 2024No Comments3 Mins Read
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    आधुनिक तकनीक के लिए फेमस देश जापान अब लकड़ी से बना सैटेलाइट लाॅन्च करेगा. वैज्ञानिकों ने इसे लिग्नोसैट नाम दिया है. यह मैगनोलिया पेड़ की लकड़ी से बनाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जापान की स्पेस एजेंसी JAXA इस सैटेलाइट को मार्च में NASA की मदद के साथ लॉन्च करेगा. फिलहाल इसे अमेरिकी रॉकेट से लॉन्च करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है. लेकिन सवाल खड़ा होता है कि आखिर लकड़ी के सैटेलाइट को बनाने की जरूरत ही क्या है?जापान के इस अनोखे सैटेलाइट को क्योटो यूनिवर्सिटी और लॉगिंग कंपनी सुमितोमो वानिकी के शोधकर्ताओं ने बनाया है. इस पर कई सालों से काम चल रहा है. लकड़ी के सैटेलाइट बनाने के पीछे एक बड़ी वजह पर्यायवरण संरक्षण है. चलिए जानते हैं कि अभी के सैटेलाइट में ऐसी क्या दिक्कते हैं कि लकड़ी की जरूरत पड़ गई.

    अभी के सैटेलाइट में क्या दिक्कत हैं?फिलहाल, मिशन पूरा होने पर सैटेलाइट जब पृथ्वी पर वापस आते हैं तो वो वायुमंडल में घर्षण की वजह से जल जाते हैं. जापानी एस्ट्रोनॉट और क्योटो यूनिवर्सिटी के एयरोस्पेस इंजीनियर ताकाओ दोई ने चेतावनी देते हुए कहा था कि पृथ्वी के वायुमंडल में जलने पर सैटेलाइट छोटे एल्युमिना कण बनाते हैं. ये कण ऊपरी वायुमंडल में कई सालों तक मौजूद रहते हैं. इसका बुरा असर पृथ्वी के पर्यावरण पर पड़ता है.अनुमान लगाया है कि आने वाले समय में सालाना 2,000 से ज्यादा अंतरिक्ष यान लॉन्च किए जाएंगे. इनसे ऊपरी वायुमंडल में भारी मात्रा में एल्युमीनियम जमा होने की संभावना है जो एक बड़ी समस्या पैदा कर सकता है.

    कुछ वैज्ञानिक शोध दावा करते हैं कि इससे ओजोन लेयर भी कमजोर हो जाएगी. ओजोन लेयर पृथ्वी को सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है.लकड़ी के सैटेलाइट से क्या फायदा होगा?बायोडिग्रेडेबल होने की वजह से लकड़ी पर्यावरण के अनुकूल है. बायोडिग्रेडेबल चीजें नेचुरल तरीके से प्रकृति में मिलकर नष्ट हो जाती हैं और पर्यावरण को खराब नहीं करती. इसी आइडिया पर क्योटो के शोधकर्ता काफी समय से लकड़ी की सैटेलाइट पर काम कर रहे हैं.

    इस तरह के स्पेसक्राफट में सही लकड़ी का चयन करना बेहद जरूरी है. इसके लिए अलग-अलग किस्म की लकड़ियों को जांचा गया. एक ऐसी लकड़ी को चुना जाना थी जो लाॅन्चिंग के दबाव को भी झेल पाए और पृथ्वी के चक्कर लगाते समय बदलते तापमान में भी खराब ना हो.क्या लिग्नोसैट सैटेलाइट अंतरिक्ष की मार को झेल पाएगा?अलग-अलग किस्म की लकड़ियों को पहले लेबोरेटरी में टेस्ट किया गया. वहां, लकड़ियों को अंतरिक्ष जैसे माहौल में रखा गया.

    टेस्ट में पाया गया कि उनके वजन में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं आया और कोई खास सड़न भी नहीं हुई. वैज्ञानिक भी लकड़ियों के झेलने की क्षमता को देखकर हैरान रह गए थे.पृथ्वी पर टेस्ट के बाद इन्हें अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा गया. लगभग 300 दिनों तक उन सैंपल्स को ISS के बाहर कॉस्मिक किरणें के संपर्क में रखा गया. फिर से उनमें कोई खराबी नहीं देखी गई. प्रोजेक्ट के हेड कोजी मुराता ने समझाया कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं होती, जिसकी वजह से वहां लकड़ी जल नहीं सकती. साथ ही अंतरिक्ष में कोई जीव नहीं होता, जो लकड़ी की सड़न की वजह बने. बाकी सब सैंपल्स में मैगनोलिया पेड़ की लकड़ी सबसे मजबूत साबित हुई. इसी लकड़ी का इस्तेमाल करके सैटेलाइट बनाया जा रहा है.

    स्पेस मिशन में क्रांतिजापान न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नासा और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) सैटेलाइट को मार्च में ISS के लिए रवाना कर सकते हैं. सैटेलाइट के एक मिशन ये भी जांचना होगा कि अंतरिक्ष में लकड़ी के ढांचे कितने कारगर हैं. गार्जियन रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष में 6 महीने काम करने के बाद सैटेलाइट ऊपरी वायुमंडल में एंट्री करेगी.

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