राजस्थान :- पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद उनकी चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. इस सीट पर बीजेपी ने इस बार योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीते रविवार को बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपने 13 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया था. तब पार्टी ने वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया, जबकि उनकी मां मेनका गांधी को फिर से सुल्तानपुर सीट से टिकट दिया गया है.
इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सवाल यह है कि आखिर अब टिकट कटने के बाद वरुण गांधी के पास क्या विकल्प हैं और अभी तक क्या संकेत मिल रहे हैं. इन दोनों ही सवालों का जवाब खोजने के लिए हमें पहले बीते साल जनवरी के राजनीतिक घटनाक्रम को याद करना होगा. तब वरुण गांधी पूरी तरह पार्टी लाइन से अलग चल रहे थे, यही वक्त था जब राजनीति के जानकारों ने उनके लिए बीजेपी से अलग विकल्प खोजना शुरू कर दिया था.
पहले कहा गया कि वह कांग्रेस में जाएंगे, लेकिन उसी दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा यूपी पहुंची तो उनके सामने भी यह सवाल जा पहुंचा- क्या वरुण गांधी के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले हैं? तब राहुल गांधी ने कहा था, ‘वरुण गांधी ने आरएसएस की विचारधारा को अपनाया है. मैं उनसे मिल सकता हूं, गले लग सकता हूं लेकिन उनकी विचारधारा को नहीं अपना सकता हूं.
क्या बोले राहुल गांधी
राहुल गांधी यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा, ‘वह आरएसएस के दफ्तर में नहीं जा सकते फिर चाहे उनका गला काट दिया जाए. वरुण ने उसी विचारधारा को अपनाया है.’ कांग्रेस नेता ने अपने बयानों के जरिए न केवल अटकलों पर विराम लगा दिया, बल्कि वरुण गांधी के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद कर दिए. जब कांग्रेस का दरवाजा बंद हुए तो राजनीति के जानकार बीजेपी सांसद के लिए समाजवादी पार्टी का गेट खोजने में लग गए.
इसके बाद सपा में जाने के कई कयास लगे और तमाम संकेत मिले. सपा के हर दिग्गज नेता ने कभी भी उनके सपा में आने के लिए दरवाजे बंद नहीं किए. खास तौर पर यादव परिवार और अखिलेश यादव ने भी उन्हें लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, ऐसा लगा कि वरुण गांधी ने कभी बीजेपी छोड़ने का मन नहीं बनाया था अगर मन बनाते तो राह खुद दिख जाती. पहले चर्चा सपा के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव की करते हैं।