मध्यप्रदेश:- मॉनिटर लिजार्ड या फिर विषखोपड़ा/ गोह के बारे में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की बायोलॉजिस्ट प्रांजलि भुजबल ने एक मीडिया संस्था से बातचीत में बताया कि भारत में प्रमुख तौर पर मॉनिटर लिजार्ड की 4 प्रजातियां पाई जाती हैं. जो बंगाल मॉनिटर, येलो मॉनिटर, वॉटर और डेजर्ट मॉनिटर लिजार्ड हैं.
प्रांजलि भुजबल ने आगे बताया कि उत्तर भारत के इलाकों में आमतौर पर बंगाल मॉनिटर लिजार्ड नजर आती है. इसका वैज्ञानिक नाम होता है. मॉनिटर लिजार्ड भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी छिपकली की प्रजातियों में से एक है.
बता दें कि ये आमतौर पर जमीन पर ही रहती है, हालांकि इसके बच्चे पेड़ों आदि पर चढ़ सकते हैं. मॉनिटर लिजार्ड अक्सर जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधे वाले इलाके में देखी जाती है. शांतचित्त होने के चलते ये जीव ठंडी व पानी वाली जगहों पर रहना पसंद करते हैं.
जानकारी के मुताबिक वैसे तो मॉनिटर लिजार्ड शर्मीले स्वभाव के प्राणी होते हैं. ये इंसान से छिपकर रहना पसंद करते हैं. लेकिन चूहे जैसे छोटे प्राणी इसका शिकार होते हैं, ऐसे में ये शिकार के पीछे इंसानों के नजदीक पहुंच जाते हैं. ये दिन में अधिक सक्रिय होते हैं, ऐसे में ये अक्सर दिख जाते हैं.
हालांकि मॉनिटर लिजार्ड को लेकर कहा जाता है कि ये जहरीले होते हैं. कुछ जगहों पर ग्रामीण लोगों का ये भी कहना होता है कि इस छिपकली की पुंछ में जहर होता है. लेकिन अब तक इसके काटने से किसी भी मृत्यु के आंकड़े सामने नहीं आए हैं.
हर जगह आमतौर पर लोग मॉनिटर लिजार्ड से डरते हैं. लेकिन यह खतरनाक नहीं बल्कि एक तरह से किसानों के लिए मददगार साबित होते हैं. आमतौर पर ये खेतों और जंगलों में पाए जाते हैं. ये खेतों में पाए जाने वाले चूहे, सांप और अन्य कीड़े मकोड़ों की संख्या को नियंत्रित करते हैं. एक्सपर्ट प्रांजलि भुजबल ने बताया कि मॉनिटर लिजार्ड के अवैध शिकार का बहुत बड़ा वैश्विक बाज़ार है. प्रमुख रूप से इनका शिकार खाने, चाइनीज शक्तिवर्धक दवाओं के लिए इनके खाल के लिए किया जाता है।