नई दिल्ली : मस्तिष्क से संबंधित कई तरह की बीमारियों का खतरा वैश्विक स्तर पर बढ़ता देखा जा रहा है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के अलावा कई प्रकार के पर्यावरणीय कारक भी इसके जिम्मेदार माने जाते रहे हैं। मस्तिष्क पूरे शरीर का मास्टरमाइंड है, ऐसे में इसमें होने वाली किसी भी तरह की दिक्कत का असर संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला हो सकता है।
मस्तिष्क में होने वाली बीमारियां कई प्रकार की हो सकती हैं, ब्रेन ट्यूमर और डिमेंशिया-अल्जाइमर की समस्या को गंभीर समस्याकारक माना जाता है। कई प्रकार के जोखिम कारक मस्तिष्क की बीमारियों को बढ़ाने वाले हो सकते हैं।
ब्रेन की बढ़ती समस्याओं के क्या कारण हो सकते हैं? इस बारे में नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने विस्तृत जानकारी साझा की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, उम्र के साथ ब्रेन की दिक्कतें तो बढ़ती ही हैं, इसके अलावा कुछ प्रकार के पर्यावरणीय कारकों के चलते भी मस्तिष्क से संबंधित रोगों का खतरा हो सकता है। इसके लिए जिन कारकों के जिम्मेदार माना गया है उनमें डायबिटीज, शराब का सेवन और प्रदूषण का बढ़ता स्तर प्रमुख है।
बढ़ रहा है डिमेंशिया का खतरा
अध्ययनकर्ताओं ने बताया, डिमेंशिया का खतरा कुछ दशकों पहले तक 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखा जाता था, हालांकि समय के साथ 50 की आयु वाले लोगों को भी इसका शिकार पाया जा रहा है। डिमेंशिया में सोचने, याददाश्त की शक्ति कमजोर होने के अलावा व्यक्तित्व और मूड में भी बदलाव आने लगता है।
जिन लोगों में डायबिटीज का खतरा रहा है, अल्कोहल का सेवन करते हैं या फिर प्रदूषण वाली जगहों पर रहते हैं उनमें मस्तिष्क से संबंधित विकारों को अधिक देखा जाता रहा है।
मस्तिष्क विकारों के लिए 15 कारकों को पाया गया जिम्मेदार
दुनियाभर में बढ़ते डिमेंशिया के खतरे और इसके कारकों को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया। इसमें 15 प्रमुख कारकों के बारे में पता चलता है जिससे न सिर्फ मस्तिष्क को क्षति पहुंचती है साथ ही न्यूरोलॉजिकल विकारों का भी खतरा बढ़ जाता है।
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि अगर लाइफस्टाइल में बदलाव कर लिया जाए तो मस्तिष्क से संबंधित विकारों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। जिन जोखिम कारकों को मस्तिष्क की समस्याओं के लिए जिम्मेदार पाया गया है उनमें ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, वजन की समस्या, शराब और धूम्रपान, डिप्रेसिव मूड, इंफ्लामेशन, प्रदूषण, सुनने की समस्या, नींद विकार, शरीरिक सक्रियता की कमी को प्रमुख माना गया है।
डायबिटीज की समस्या भी बढ़ा देती है खतरा
इसके अलावा अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज की दिक्कत है उनमें भी मस्तिष्क की समस्याओं विशेषतौर पर अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया होने का जोखिम अधिक हो सकता है। अध्ययनों में पाया गया है कि बढ़े हुए शुगर का लेवल मस्तिष्क के उस हिस्से को क्षति पहुंचाने लगता है जो याददाश्त के लिए आवश्यक मानी जाती है।
कभी-कभी, अग्न्याशय से एमाइलिन नामक हार्मोन का अत्यधिक स्राव भी न्यूरॉन्स पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं जिसके कारण भी मस्तिष्क से संबंधित विकारों का जोखिम बढ़ जाता है।
लाइफस्टाइल में सुधार करना जरूरी
अध्ययनकर्ता बताते हैं- मस्तिष्क को स्वस्थ रखने और डिमेंशिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए लाइफस्टाइल में सुधार करना जरूरी है। इसके लिए सबसे आवश्यक है कि आप शराब का सेवन कम कर दें। अल्कोहल के कारण न्यूरोडीजेनेरेशन का खतरा बढ़ जाता है। शराब पीने से मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों के बीच संकेतों को संचारित करने वाले फ्ल्यूड की मात्रा में भी कमी आ जाती है। शराब के सेवन से दूरी बनाने के अलावा प्रदूषकों से बचाव करना, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना भी मस्तिष्क की सेहत को ठीक रखने के लिए बहुत जरूरी है।