नई दिल्ली:– जब कर्म करने के बाद मनोवांछित फल नहीं मिलता है, तो उसके कई कारण हो सकते हैं, जिसमें कभी-कभी ग्रह, नक्षत्रों, सितारों का दोष होता है, तो कभी-कभी भूत-प्रेत आदि बाधा रहती है। ज्यादातर लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि उनका जो कार्य, व्यापार आदि नहीं चल रहा है, वह किस कारण से नहीं चल रहा है। एक बार सही जानकारी हो जाने पर निराकरण उपाय सहज और सरलता पूर्वक किया जा सकता है। प्राचीन तंत्र शास्त्र के गं्रथों में सरसों के दानों के माध्यम से आप सरलता पूर्वक अपने घर, दुकान अथवा कार्यालय पर किसकी बाधा है, जान सकते हैं। पीली सरसों के ताजे आठ दाने लेकर उन्हें गंगाजल में धोकर सुखा लें, सूखने के पश्चात उन्हें एक कटोरी में पुनः गंगाजल भरकर डाल दें, जितने भी दाने तैरने लगेंगें, उन्हें गिनकर आप यह जान सकते हैं कि आपके घर-कार्यालय में किसका दोष है।
एक दाना तैरने पर भूत-प्रेतों के दोष से बाधा रहती है।
दो दाने तैरने पर क्षेत्रपाल और दिक्पाल का दोष माना जाता है।
तीन दाने तैरने पर शाकिनी दोष, डाकिनी दोष रहता है।
चार दाने तैरने पर तंत्र-मंत्र दोष के कारण बाधाऐं होती हैं।
पांच दाने तैरने पर कुलदेवी या कुलदेवता का दोष रहता है।
छः दाने तैरने पर मातृ दोष की समस्या रहती है।
सात दाने तैरने पर वन्ध्यावासीनी दोष, मृतवत्सा दोष रहता है।
आठ दाने तैरने पर कुलदोष या पितृ दोष रहता है। जन्मपत्री में भी पितृ दोष ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण देखा जाता है जिसका उपाय पितृ पक्ष में करने पर घर में सुख शांति आती है।
पितृदोष से मुक्ति के लिए करें उपाय – पितृगणों की स्मृति में प्याउ लगवाना चाहिए तथा भूखे गरीबों को भोजन की व्यवस्था पितृपक्ष में अवश्य करनी चाहिए। पितृ पक्ष की अमावस्या को तर्पण एवं ब्राह्मणभोज करने से पितृदोष का निवारण होता है। गायों की पूजा करने से पितृ ऋण उतर जाता है, और सभी देवताओं की पूजा हो जाती है। जो व्यक्ति भोजन के प्रथम भाग को नित्य गाय को देता है वो सभी प्रकार के सुख-समृद्धि को प्राप्त कर लेता है।