रायपुर:- 2025 में छत्तीसगढ़ नई होली मनाने जा रहा है. इस बार की होली संभावनाओं वाली होली है. 2025 में होलिका जलाने से पहले संकल्प इस बात का भी लेना है कि 2026 की जब होली जलेगी तो नक्सलवाद का समूल नाश हो चुका होगा. 2026 में छत्तीसगढ़ से नक्सल का सफया होगा इस बात का संकल्प केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने लिया है. विकास के रंग में नहाता छत्तीसगढ़ जल्द अपने सपनों को सच करेगा इस बात की उम्मीद हम सभी को है.
इस बार बस्तर में विकास की होली: नक्सलगढ़ की होली इस बार विकास वाली होगी होगी. नक्सलगढ़ में खेली जाने वाली होली में शिक्षा का रंग, स्वास्थ्य का रंग और विकास का रंग नजर आएगा. बस्तर के लोग इस बार होलिका दहन में पुराने सारे तकलीफों का दहन कर नए अध्याय की शुरुआत करेंगे. नए संकल्प और नए परिवर्तन के साथ आगे बढ़ेंगे.
नक्सलगढ़ से विकास गढ़ का जय हिन्द: छत्तीसगढ़ ने अपने बदलाव को लेकर नया संकल्प ले लिया है. छत्तीसगढ़ में 15 अगस्त 2024 को 13 ऐसे गांवों में तिरंगा फहराया गया जो कभी हुआ ही नहीं था. इस गांव ने अपने विकास का पहला जय हिन्द लिख दिया है. जिन जिलों में पहली बार झंडा फहराया गया उन 13 गांवों में दंतेवाड़ा के नेरली घाट, कांकेर का पानीडोबीर, बीजापुर का गुंडम, पुतकेल और छुटवाही, नारायणपुर का कस्तूर मेटा, मसपुर, इराक भट्टी और मोहंदी, सुकमा के टेकलगुडेम, पुवर्ती, लाखापाल और पुलनखाड़ गांव हैं. इन गांवों में पहली बार तिरंगा झंडा फहरा है. इस बाबत बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां पहली बार झंडा फहराया गया है, यह छत्तसीगढ़ के लिए बड़ी बात है.
26 जनवरी 2025 एक रंग यह भी है: बस्तर के सुकमा के तुमालपाड़ में पहली बार भारतीय तिरंगा झंडा फहराया गया. धुर नक्सल प्रभावित तुमालपाड़ में चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता का असर है कि अब यहां के लोग भी नक्सलवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे हैं. एक वक्त था जब सुकमा का तुमालपाड़ नक्सली गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था. विकास का एक रंग यहां भी अपनी सतरंगी फिजा को और सुंदर बना रहा है.
2 मार्च 2025, 30 साल बाद चल पड़ी बस: बीजापुर का अंतिम छोर जो कभी नक्सलियों की राजधानी कही जाती थी, वहां से लोकतंत्र वाली राजधानी का कोई मेल जोल ही नही था. लगातार नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान ने यहां भी विकास के विचार को नई गति दी. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के अंतिम गांव पामेड़ सहित सात पंचायतों को जोड़ने वाली बस सेवा शुरू कर दी है. बीजापुर में यह केवल एक बस नहीं चली, विकास की एक उम्मीद ने बस के पहियों के साथ दौड़ने का नया संकल्प भी लिया है. 30 साल बाद इस बस सेवा के शुरु होने से लोगों के जीवन को रफ्तार मिली है. जिन स्थानों पर दो पहिया वाहनों से जाने में लोग डरते थे आज वहां पर बस सेवा शुरु हुई है. बस्तर में विकास के बढ़ते कदम अब अपनी रंग ले चुके हैं.
6 मार्च 2025, शुरु हो गई इंटरनेट सेवा: डिजिटल क्रांति के डगर पर दौड़ रहे देश में एक ऐसी भी जगह है जहां लोगों के बात करने और इंटरनेट के लिए 15 किमी की दूरी तय करनी होती थी. 2025 में ही इस दूरी को खत्म कर दिया गया और अब इस गांव में इंटरनेट सेवा शुरु हो गई है. दरअसल 16 दिसंबर 2024 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुण्डेम गांव का दौरा कर ग्रामीणों और जवानों से चर्चा की थी. इस दौरान क्षेत्र में संचार व्यवस्था मजबूत करने के लिए ग्राम गुण्डेम में मोबाइल टावर स्थापित करने की मांग की गई थी. इसके बाद इस दिशा में काम शुरू किया गया. अब यह चालू भी हो गया है, यह ऱंग भी कम नहीं है.
चमक रहे हैं बस्तर के गांव: 18 फरवरी को रेगड़गट्टा गांव पूरी तरह बिजली से लैस हो चुकी है. नियद नेल्लानार योजना के तहत यह सातवां गांव है, जहां बिजली पहुंच चुकी है. अब बाकी सभी गांवों में जल्द से जल्द बिजली पहुंचाने की दिशा में कार्य चल रहा है.
40 साल बाद हुई वोटिंग: बस्तर में 17 फरवरी को हुए मतदान ने छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया. जब छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान की प्रक्रिया हुई. सुकमा और बीजापुर जिले के 130 से अधिक ऐसे मतदान केंद्र रहे हैं जहां पर नक्सलियों का खौफ चरम पर रहता था. यहां पिछले 40 सालों से मतदान हुआ ही नहीं था. 17 फरवरी को इन सभी 130 से अधिक मतदान केंद्रों पर 40 साल के बाद मतदान हुआ है. वहां को लोगों ने लोकतंत्र को अपने वोट से नए रंग में रंग दिया.
20 साल बाद साप्ताहिक बाजार लगा: फागुन का महीना बहुत ही मोहक महीना माना जाता है. इस महीने में प्रकृति भी नए रंग को आत्मसात करती है. 2025 में विकास के बदलते हुए रंग में छत्तीसगढ़ी रंग अब सराबोर हो रहा है. बीजापुर में और कांकेर में 20 साल बाद बाजार लगा. लोगों को जीवन चलाने के लिए जिन सामानों को लेने के लिए मीलों जाना पड़ता था अब वह उनके घर तक पहुंच रहा है. बीजापुर के धुर नक्सल प्रभावित इलाके पुजारी कांकेर में 20 साल बाद साप्ताहिक बाजार लगे.
बदल रहा है बस्तर में दौर: बस्तर के कुछ इलाके जो कभी माओवादियों का गढ़ हुआ करता था वहां भी हालत बदल चुके हैं. गांव के आस पास हाट बाजार लगने लगे हैं. लोग अब गाड़ियों में भरकर भरकर बाजार बेरोक टोक जाते हैं. पहले कभी यहां नक्सली आर्थिक नाकेबंदी कर गांव वालों को परेशान करते थे. कई बार तो नक्सलियों की नाकेबंदी के चलते सीमावर्ती क्षेत्र के लोग पड़ोसी राज्य तेलंगाना में खरीदारी करने जाते थे.
छत्तीसगढ़ विकास की नई कहानी को लिख रहा है. अब छत्तीसगढ़ के लोगों ने ठान लिया है कि लाल सलाम का काम तमाम करना है. केसरिया रंग की छटा में नहाना है, इसके साथ अब चलते जाना है. यह छत्तीसगढ़ को विकास रंगी बनाएगा – दुर्गेश भटनागर, राजनीतिक समीक्षक और वरिष्ठ पत्रकार
छा रहा है छत्तीसगढ़िया रंग: छत्तीसगढ़ बदलने लगा है, छत्तीसगढ़ को बदलना है, यह संकल्प का साल है. जीवन का सबसे मजबूत रंग संकल्प का ही होता है. विकास को रफ्तार देते छत्तीसगढ़ को इस होली में मन के संकल्प को रंग देना है. रंग नक्सल के नासूर से राज्य को मुक्ति मिले. रंग हर घर में खुशियां रहें. रंग हर हाथ को काम मिले. कोई जनअदालत किसी की जान न ले. विकास के इसी रंग को हर छत्तीसगढ़िया को अपने मन में रखना है और नवा छत्तीसगढ़ गढ़ना है.