नई दिल्ली :- पिछले 10 वर्षों में, भारत ने गरीबी को कम करने में बड़ी सफलता हासिल की है. शुक्रवार 26 अप्रैल को जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 में अत्यंत गरीबी 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.3 प्रतिशत रह गई है, जिससे 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं.
ग्रामीण और शहरी गरीबी में कमी
रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत रह गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में अत्यंत गरीबी 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत रह गई, जिससे गरीबी के मामले में ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत रह गया, जो कि 16 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट है, जैसा कि विश्व बैंक के गरीबी और समानता संक्षिप्त विवरण में उल्लेख किया गया है.
निम्न-मध्यम आय वर्ग में आया भारत
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत निम्न-मध्यम आय वर्ग में आ गया है. निम्न-मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के लिए 3.65 डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा का उपयोग करते हुए, गरीबी 61.8 प्रतिशत से घटकर 28.1 प्रतिशत हो गई, जिससे 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 69 प्रतिशत से घटकर 32.5 प्रतिशत रह गई, और शहरी गरीबी 43.5 प्रतिशत से घटकर 17.2 प्रतिशत रह गई, जिससे ग्रामीण-शहरी अंतर 25 से घटकर 15 प्रतिशत अंक रह गया, जो कि 7 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट है.
मुख्य निष्कर्ष
ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत गरीबी 2011-12 में 18.4 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.8 प्रतिशत रह गई
शहरी क्षेत्रों में अत्यंत गरीबी 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत रह गई
ग्रामीण और शहरी गरीबी के बीच का अंतर 7.7 प्रतिशत अंक से घटकर 1.7 प्रतिशत अंक रह गया
गरीबी कम करने में योगदान देने वाले राज्य
पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में 2011-12 में भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब थे. 2022-23 तक इन राज्यों ने अत्यंत गरीबी में समग्र गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया. वर्तमान में इन राज्यों में अत्यंत गरीबी में रहने वाले 54 प्रतिशत लोग रहते हैं. हालांकि, ये राज्य अभी भी 2022-23 में भारत की अत्यंत गरीब आबादी का 54 प्रतिशत और 2019-21 से बहुआयामी गरीब आबादी का 51 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं.