नई दिल्ली:– हाल ही में सामने आई एक नई स्टडी के मुताबिक भारत की लगभग 76 प्रतिशत आबादी इस समय बेहद गर्मी से जूझ रही है. विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र, गोवा, दिल्ली, केरल, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रहने वाले लोगों पर इसका अधिक खतरा है.
हीट रिस्क का आंकलन
‘TOI’की रिपोर्ट के मुताबिक ‘हाउ एक्सट्रीम हीट इज इंपैक्टिंग इंडिया: एसेसिंग डिस्ट्रिक्ट लेवल हीट रिस्क’ नाम की यह स्टडी 20 मई 2025 को पब्लिश हुई थी. यह रिसर्च ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (cCEEW) के रिसर्चर्स श्रवण प्रभु, कीर्तन अंतिम सुरेश, सृष्टि मंडल, दिव्यांशु शर्मा और विश्वास चितले की ओर से की गई थी. रिसर्च के लिए शोधरकर्ताओं ने एक हीट रिस्क इंडेक्स (HRI) विकसित किया. इससे 734 भारतीय जिलों में हीट रिस्क का आंकलन किया गया.
रात में हुई ज्यादा गर्मी
रिसर्च में पाया गया कि साल 2012-2022 के बीच के सालों में दोपहर के मुकाबले रात के समय अधिक गर्मी हुई है. इस दौरान 70 फीसदी से अधिक जिलों में मार्च-जून तक हर गर्मियों में 5 या उससे अधिक गर्म रातें देखी गईं हैं. रिसर्च में कहा गया,’ इन रातों और दिनों को उस अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जब अधिकतम और न्यूनतम तापमान काफी ऊपर चला जाता है, जो अतीत में 95 फीसदी समय के लिए सामान्य था.’ यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि रात के समय टेंपरेचर अधिक होने से दोपहर की भीषण गर्मी के बाद शरीर ठंडा नहीं हो पाता है. ऐसे में हीट स्ट्रोक जैसे कई जोखिमों का खतरा हो सकता है. साथ ही इससे डायबिटीज समेत हाई BP की समस्या बढ़ सकती है.
ह्यूमिडिटी ने बढ़ाया तनाव
रिसर्च में यह भी पाया गया कि साल 2012-2022 के बीच उत्तर भारत में रिलेटिव ह्यूमिडिटी काफी बढ़ी है. साल 1982-2011 तक यह 30-40 फीसदी हुआ करती थी, जो साल 2012-2022 के बीच बढ़कर 40-50 प्रतिशत हो गई. रिलेटिव ह्यूमिडिटी से शरीर पर गर्मी का तनाव बढ़ता क्योंकि हाई रिलेटिव ह्यूमिडिटी शरीर के तापमान के 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने पर इसे पसीने के जरिए ठंडा करना मुश्किल बना देती है, जिससे स्ट्रोक समेत गर्मी से जुड़ी कई बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
शहरीकरण ने बढ़ाई समस्या
स्टडी में यह भी कहा गया कि दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र और शहरीकरण में वृद्धि भी गर्मी के खतरों को बढ़ाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां अधिकतर लोग कंक्रीट मकानों में रहते है, जो दोपहर में बेहद गर्मी को सोखते हैं, लेकिन रात के दौरान उसे छोड़ते हैं. स्टडी के मुताबिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, हाई टेंपरेचर और समाजिक समेत आर्थिक तंगी के कारण हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के जिले भीषण गर्मी के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं.