नई दिल्ली:– मई के महीने से चार धाम यात्रा की शुरुआत हो गई है तो वहीं पर केदारनाथ यात्रा बड़ी संख्या में यात्री करते है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ अलग ही महत्व है। केदारनाथ की यात्रा जितनी खास है उतना ही लंबी चढ़ाई के साथ ही बाबा बर्फानी के दर्शन आपको मिलते है। उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ की ख्याति पूरी दुनिया में अलग है।
केदारनाथ यात्रा को लेकर कई मान्यताएं भी है जिसकी जानकारी आपको नहीं होगी। यहां पर कहते हैं कि केदारनाथ की यात्रा शुरू करने से पहले गौरीकुंड में स्नान किया जाता है। यह रूद्रप्रयाग जिले में स्थित खास जगह है जहां पर यात्रा का महत्व होता है।
जानिए केदारनाथ यात्रा से पहले होता है कुंड में स्नान
आपको बताते चलें कि, केदारनाथ यात्रा शुरू करने से पहले कुंड में स्नान करने का महत्व होता है। कहा जाता है कि, भक्तों को केदारनाथ के दर्शन करने से पहले मां पार्वती का आशीर्वाद लेना जरूरी है, नहीं तो आपकी केदारनाथ यात्रा सफल नहीं होती है। अगर आप गौरीकुंड में स्नान करके निकलते हैं तो आपको मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है। गौरीकुंड का नाता माता पार्वती है जिसे मां पार्वती के कठिन साधना से बनाया गया है। भगवान शिव ने माता पार्वती को कठिन साधना से खुश होकर आशीर्वाद दिया था कि मेरे दर्शन से पहले लोग इस कुंड में आकर अपने पाप से मुक्त हो सकेंगे।
गौरीकुंड में ही माता पार्वती ने की थी तपस्या
बताया जाता है कि माता पार्वती ने गौरीकुंड में ही भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 100 वर्षों तक तपस्या की थी। इसका उल्लेख पौराणिक कथा में मिलता है। माता पार्वती की तपस्या इतनी कठिन थी कि, भगवान शिव उनके इस कठिन तपस्या से प्रभावित हुए और प्रकट होकर देवी पार्वती से विवाह करने के लिए राजी हुए। गौरीकुंड की अपनी महत्ता है लेकिन यहां पर दो कुंड है जहां पर गर्म और ठंडा पानी रहता है। एक कुंड में जहां गर्म पानी निकलता है जिसका तापमान 53 डिग्री सेल्सियस तक गर्म रहता है, उसे तप्त कुंड भी कहते हैं और दूसरा कुंड भी है जहां पानी नॉर्मल 23 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। गौरीकुंड के अलावा यहां पर गौरा माई का एक प्राचीन मंदिर भी है जो मां पार्वती को समर्पित है। स्कंद पुराण में इस मंदिर के बारे में बताया गया है।