नई दिल्ली:– टॉक्सिक कफ सिरप से जुड़ी बच्चों की मौतों की चौंकाने वाली घटनाओं के बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अब सख्त कदम उठाया है. संगठन ने साफ कह दिया है कि एक जनवरी 2026 तक देश की सभी दवा निर्माण कंपनियों को ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के मुताबिक काम करना होगा. अब न कोई एक्सटेंशन मिलेगा, न कोई छूट.
जिन दवा कंपनियों ने अभी तक CDSCO के नियमों का पालन नहीं किया है, उन्हें 1 जनवरी 2026 तक का आखिरी मौका दिया गया है. इस बार किसी को भी आगे बढ़ाने या एक्सटेंशन की अनुमति नहीं मिलेगी. इस आदेश के दायरे में 1,470 दवा निर्माण इकाइयां आती हैं जिनका सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से कम है.
CDSCO ने कहा है कि GMP (Good Manufacturing Practices) के मानकों को अपडेट किया गया है. नई GMP गाइडलाइंस पहले ही 28 जून 2024 से उन इकाइयों पर लागू हो चुकी हैं जिनका टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से ज्यादा है. छोटी दवा कंपनियों जिनका टर्नओवर 250 करोड़ से कम है, उन्हें 1 जनवरी 2026 तक का समय या मई 2025 तक आवेदन करने की छूट दी गई थी.
भारत में कुल 5,308 दवा निर्माण इकाइयों में से 3,838 MSME यूनिट्स पहले ही Schedule M के तहत अनुपालन (compliance) कर चुकी हैं. बाकी 1,470 कंपनियों ने एक्सटेंशन के लिए आवेदन किया था लेकिन अब उन्हें भी और समय नहीं दिया जाएगा. सीधे शब्दों में कहें तो इस बार शेड्यूल एम के तहत किसी को भी एक्सटेंशन नहीं मिलेगा. CDSCO ने स्पष्ट कर दिया कि अब कंपनियों को कोई छूट नहीं दी जाएगी.
