नई दिल्ली:– जन्म कुंडली को ज्योतिष में व्यक्ति के स्वभाव, भविष्य, करियर, विवाह और जीवन से जुड़े कई पहलुओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे व्यक्ति की जन्म तारीख, समय और जन्म स्थान के आधार पर तैयार किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल जीवन पर कई तरह के प्रभाव डालती है. यही वजह है कि बहुत से लोग शादी, करियर, स्वास्थ्य या जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों में कुंडली बनवाना जरूरी समझते हैं. लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में कुंडली बनवाना जरूरी है? प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में इसी विषय बात की है.
कुंडली बनवाना जरूरी
प्रेमानंद महाराज ने उन्होंने कहा कि पारंपरिक विवाह की दृष्टि से कुंडली बनवाना उपयोगी माना जाता है, क्योंकि इसके जरिए से गुणों को मिलाया जाता है. हालांकि उन्होंने यह भी साफ कहा कि आज के समय में, जब लव मैरिज और लिव-इन रिलेशन जैसे संबंध बहुत साधारण बात है. लोग कुंडली दिखाने को उतना महत्व नहीं देते. इसके बावजूद भी उन्होंने कहा कि कुंडली बनवा लेना चाहिए, क्योंकि यह शास्त्रीय पद्धति का हिस्सा है .
कुंडली मिले फिर भी झगड़ा
प्रवचन के दौरान एक व्यक्ति ने सवाल पूछा कि जब कुंडली मिल भी जाती है, तब भी दांपत्य जीवन में लड़ाइयां क्यों होती हैं? इस पर प्रेमानंद महाराज ने जवाब दिया कि कुंडली मिलने से शांति नहीं मिलती, शांति तब मिलती है जब विचार और व्यवहार एक-दूसरे से मेल खाते हों. उन्होंने कहा कि लड़ाई तब बंद होती है जब दोनों जीवनसाथी धैर्य, समझ और सम्मान का पालन करें. अगर पत्नी कटु वचन कह रही हो तो पति को शांत रहकर स्थिति संभालनी चाहिए, क्योंकि तकरार से कभी समाधान नहीं निकलता .
लड़ाई से कभी नहीं निकलता समाधान
उन्होंने यह भी कहा कि दांपत्य जीवन की सफलता कुंडली पर नहीं, बल्कि विचारों की समानता और एक-दूसरे की गलतियों को स्वीकार करने की क्षमता पर निर्भर करती है. जीवनसाथी को एक-दूसरे की कमियां निकालने के बजाय सहयोग, संवाद और समझदारी पर ध्यान देना चाहिए.कुंडली मार्गदर्शन दे सकती है, लेकिन रिश्ते की मजबूती आपसी व्यवहार और सम्मान से ही बनती है.
