छत्तीसगढ़:– जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के तहत धान उठाव प्रक्रिया अब तेज़ होने जा रही है। विपणन विभाग और राइस मिलर्स के बीच इकरारनामा (एग्रीमेंट) पूरा हो चुका है। विभाग के अनुसार इसी हफ्ते उठाव के लिए डीओ (डिलीवरी ऑर्डर) जारी किए जा सकते हैं, जिसके बाद समितियों से धान उठाव का काम शुरू होगा।जिले के 42 राइस मिलर्स के साथ उठाव का एग्रीमेंट किया गया है, जिनमें से 35 मिलर्स ने 58 करोड़ 16 लाख 50 हजार रुपये की बैंक गारंटी जमा कर दी है। वहीं बाकी मिलर्स ने अभी तक अपनी बैंक गारंटी जमा नहीं की है, जिससे उनके उठाव पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
GPS से लैस वाहन,छेड़छाड़ पर बजेगा अलर्ट सायरन!
धान उठाव में गड़बड़ियों पर रोक लगाने के लिए इस बार वाहन ट्रैकिंग सिस्टम को और सख्त किया गया है। जिला विपणन अधिकारी मनोज यादव ने बताया कि GPS सिस्टम में इस बार नए फीचर्स जोड़े गए हैं। पहले कई राइस मिलर्स GPS को वाहन से हटाकर मोटरसाइकिल में लगा देते थे और धान की हेरा-फेरी करते थे। लेकिन इस बार— वाहन समिति केंद्र से निकलकर सीधे राइस मिल तक ही जा सकेगा।निर्धारित मार्ग से हटते ही एप पर अलर्ट पहुंचेगा।
उड़नदस्ता टीम तुरंत कार्रवाई करेगी।
यह सिस्टम धोखाधड़ी रोकने में बड़ा हथियार साबित हो सकता है। मोटा धान का उठाव पहले क्यों? राइस मिलर्स बोले,मिलिंग में भारी दिक्कत!कई राइस मिलर्स ने स्वीकार किया कि मोटा धान मिलिंग में सबसे ज्यादा कठिन होता है। इसी वजह से मिलर्स मोटा धान की मिलिंग से कतराते हैं।इसके बावजूद मोटे धान का उठाव शुरू में बड़े पैमाने पर होता है। सवाल यह उठता है कि जब मिलिंग में दिक्कत है तो सरकार मोटा धान खरीदती क्यों है?सूत्रों के अनुसार मोटा धान का मिलिंग नहीं, बल्कि व्यापार होता है।यह धान भाटापारा की पोहा फैक्ट्रियों को बड़े पैमाने पर बेचा जाता है।
अधिकारी इस तथ्य से परिचित होने के बावजूद कार्रवाई नहीं करते। यदि उठाव की मात्रा और मिलों में रखे धान का सत्यापन कराया जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। विशेषज्ञों की राय है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में चेकपोस्ट लगाए जाएं ताकि जिले से धान की अवैध निकासी पर रोक लग सके।
राइस मिलर्स की बड़ी लापरवाही उजागर
पिछले वर्ष सरकार ने 79 राइस मिल्स को कस्टम मिलिंग हेतु पंजीकृत किया था।इन मिलर्स ने कुल 2,43,293 टन धान का उठाव किया था।इसके बदले उन्हें 1,64,753 टन चावल जमा करना था। लेकिन अभी तक जमा हुआ चावल—1,16,284 टन यानी48,470 टन चावल अभी भी बकाया है!
सबसे ज्यादा चावल बकाया
गणेश मिनरल्स: 2,291 टन
सबसे कमM/s प्रदीप कुमार अग्रवाल: 13 टन
कलेक्टर का संदेश
मुंगेली कलेक्टर कुंदन कुमार पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि
कम से कम 70% चावल जमा किए बिना किसी हाल में डीओ जारी नहीं होगा। इसके बावजूद बकाया चावल की यह स्थिति विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।जिले में धान उठाव शुरू होने वाला है, लेकिन अधूरी बैंक गारंटी, GPS से छेड़छाड़,मोटे धान की अवैध बिक्री,और भारी बकाया चावल सब मिलकर बड़े सिस्टम फेलियर की तरफ इशारा करते हैं।
यदि प्रशासन कड़े कदम नहीं उठाता तो आने वाले समय में यह घोटाला और बड़े रूप में सामने आ सकता है
