नई दिल्ली:– रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार शाम दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने personally उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को गले लगाकर अपनी पुरानी दोस्ती का संदेश दिया और एक ही वाहन में रवाना हुए। पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है।
भारत-रूस के बीच 2 बिलियन डॉलर की सबमरीन डील फाइनल
पुतिन के आगमन से कुछ घंटे पहले ही दोनों देशों ने 2 बिलियन डॉलर (लगभग ₹16,700 करोड़) की महत्वपूर्ण न्यूक्लियर सबमरीन डील को अंतिम रूप दे दिया। यह डील लगभग एक दशक से प्रगति पर थी और अब दोनों पक्षों ने इसे मंजूरी दे दी है। भारतीय नौसेना के अधिकारी अगले वर्ष नवंबर में संबंधित रूसी शिपयार्ड का दौरा करेंगे।
2027 तक भारत को न्यूक्लियर सबमरीन मिलने की उम्मीद
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी के अनुसार, भारत चाहता है कि यह पनडुब्बी उसे साल 2027 तक मिल जाए। यह रूस से भारत को मिलने वाली दूसरी परमाणु पनडुब्बी होगी। इससे पहले भारत ने 2012 में INS Chakra को 10 साल की लीज पर रूस से लिया था।
क्यों घबराए पाकिस्तान और चीन?
परमाणु ऊर्जा से संचालित सबमरीन कई मायनों में डीज़ल-इलेक्ट्रिक सबमरीन से बेहतर होती हैं— अधिक समय तक पानी में रहने की क्षमता, बेहद कम शोर, जिससे पकड़ पाना मुश्किल, लंबी दूरी तक गश्त की क्षमता
दुश्मन देशों की समुद्री गतिविधियों पर बेहतर निगरानी
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए यह सबमरीन भारत की रणनीतिक शक्ति को काफी बढ़ा देगी। यही कारण है कि चीन और पाकिस्तान दोनों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
भारत भी बना रहा है अपनी परमाणु अटैक सबमरीन
भारत अपनी स्वदेशी परमाणु-चालित अटैक सबमरीन विकसित कर रहा है, जिन्हें दुश्मन की पनडुब्बियों और जहाजों पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। वर्तमान में दुनिया में सिर्फ कुछ देशों — अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन और रूस — के पास ऐसी सबमरीनों का उन्नत बेड़ा है।
भारत की समुद्री शक्ति होगी और मजबूत
इस डील से भारत की नौसैनिक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का दबदबा और मजबूत होगा। पुतिन और मोदी की मुलाकात के दौरान और भी रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में कई करार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
