नई दिल्ली:– धमतरी जिले के कुरुद के सुप्रसिद्ध चित्रकार बसंत साहू को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर देश के सर्वोच्च दिव्यांगजन सम्मान से नवाज़ा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार 2025 की ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन कलाकार’ श्रेणी में सम्मानित किया।
95% दिव्यांग होने के बावजूद कला से बनाया विशेष मुकाम
52 वर्षीय बसंत साहू 95% दिव्यांगता के साथ जीवन गुज़ार रहे हैं, लेकिन व्हीलचेयर पर बैठकर बनाई गई उनकी उत्कृष्ट पेंटिंग्स उन्हें कला जगत में एक पहचान दिलाती हैं। पिछले तीन दशकों से वे लगातार कला साधना में जुटे हैं। एक–एक पेंटिंग को पूरा करने में चार से पाँच दिन तक का समय लगता है।
“दिव्यांगता कमजोरी नहीं, सिर्फ परिस्थिति है” — राष्ट्रपति मुर्मू
समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने बसंत सहित अन्य सम्मानित कलाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाज की प्रगति तभी संभव है जब दिव्यांगजनों को समान अवसर और सम्मान मिले। उन्होंने कहा कि ऐसे कलाकारों को दया नहीं, बल्कि गरिमा और सशक्तिकरण की आवश्यकता होती है।
“आत्मा की उड़ान असीम है” — बसंत साहू
सम्मान मिलने के बाद बसंत साहू ने कहा कि यह पुरस्कार उनके परिवार, उनकी माँ और सभी शुभचिंतकों की प्रेरणा का परिणाम है। उन्होंने कहा—
“शरीर सीमित हो सकता है, लेकिन आत्मा की उड़ान हमेशा असीम रहती है।” उनकी हर पेंटिंग इसी भाव को जीवन देती है।
प्रदेशभर में जश्न का माहौल
बसंत साहू को मिले इस राष्ट्रीय सम्मान के बाद धमतरी और कुरुद क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों और कुरुद निवासियों ने उन्हें बधाइयाँ दीं और इसे प्रदेश का गौरव बताया।
