नई दिल्ली:– केंद्र सरकार ने 6 जून को ‘UMMEED’ पोर्टल लॉन्च किया था, जिसका मकसद देशभर में फैली करीब 8.8 लाख वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना था। हालांकि, पोर्टल पर पंजीकरण की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी हो गई है। डेडलाइन से एक दिन पहले भी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सिर्फ 10 से 35 फीसदी संपत्तियां ही पोर्टल पर दर्ज हो पाई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, सभी राज्यों के मुलाबले पंजाब ने इसमें सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां 80% संपत्तियों के रिकॉर्ड अपलोड हो चुके हैं। हालांकि, पंजाब में वक्फ संपत्तियों के बजाय वक्फ एस्टेट्स अपलोड किए जा रहे हैं, जिससे यह प्रक्रिया सरल हो रही है।
किस राज्य में कितनी संपत्तियां पंजीकृत
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में 1.4 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से केवल 35% संपत्तियां ही अपलोड हो पाई हैं। अधिकारियों का कहना है कि कई संपत्तियां पुरानी हैं और उनके दस्तावेज़ अनुपलब्ध हैं, जो पंजीकरण में मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल: यहाँ 80,480 वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से सिर्फ 12% (10,000) ही पंजीकृत हो पाई हैं। समस्या यह है कि ग्रामीण इलाकों के मुतवल्ली तकनीकी जानकारी से वंचित हैं और पोर्टल सिर्फ अंग्रेजी में है, जबकि अधिकांश मुतवल्ली अंग्रेजी नहीं समझते।
कर्नाटक: कर्नाटक में 65,242 वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन केवल 10% (6,000) ही अपलोड हो पाई हैं। पोर्टल का सर्वर बार-बार क्रैश हो जाता है, जिससे पंजीकरण की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
तमिलनाडु: यहाँ 66,092 संपत्तियां हैं, लेकिन सिर्फ 10% (6,000) संपत्तियां ही अपलोड हो पाई हैं। दस्तावेज़ अधूरे होने और तकनीकी सहायता की कमी के कारण पंजीकरण में समस्याएं आ रही हैं।
समय सीमा नहीं बढ़ाएगा केंद्र
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम के तहत पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाने से इनकार किया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि वे कानून में बदलाव किए बिना समय सीमा नहीं बढ़ा सकते। अगर राज्य समय सीमा पूरी नहीं कर पाते, तो वे वक्फ ट्रिब्यूनल से राहत ले सकते हैं। सांसदों ने तकनीकी समस्याओं पर चिंता जताई है। कांग्रेस और सपा सांसदों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है।
