नई दिल्ली:– एक सवाल है जिसका जवाब शायद बहुत लोग ढूढ़ते हैं। ये सवाल है कि भगवान से मन्नत मांगना कितना सही होता है? हिंदू धर्म में रोजाना पूजा-पाठ करना शुभ माना जाता है। ना सिर्फ इससे घर का माहौल पॉजिटिव होता है बल्कि मन भी शांत रहता है। कई लोग बिना किसी मंशा के भगवान को पूजते हैं। वहीं कुछ लोग मन्नत भी मांगते हैं लेकिन क्या ऐसा करना सही है? क्या भगवान सारी मन्नतों को पूरा करते हैं? वृंदावन के जाने-माने संत प्रेमानंद महाराज ने इस पर अपनी राय बताई है। दरअसल एक शख्स ने पूछा कि क्या भगवान से ऐसा कहना सही है कि आप मेरी ये मन्नत पूरी कर दो तो मैं आपके लिए ये करूंगा।
भगवान से कहें ये बात
इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि भगवान से ऐसा नहीं बोलना चाहिए। भगवान बहुत बड़े दाता है। बहुत बड़े मालिक हैं और हम उनके बच्चे हैं। तो अपने पिता से कैसे मांगा जाता है? क्या एक पिता से ऐसे मांगा जाता है कि हम तुमको दस लड्डू पवा देंगे हमें दस रुपया दे दो। पिता से तो ऐसे मांगा जाता है कि 100 रुपये की जरूरत है मुझे दो। नहीं मांगा जाता है? वो नहीं देंगे? नहीं देना पड़ेगा। हम किससे पास जाए? कहां जाएं? आप हमारे पिता हो। ऐसे भगवान से मांगना चाहिए कि प्रभु ये समस्या है इसका समाधान कीजिए। जो उचित हो आप दें।
हक से मांगिए जवाब
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि ये जो आप लोग अज्ञानवश कहते हैं कि तुमको 500 रुपये के लड्डू का भोग लगा देंगे तो काम करो। तो हमें लगता है कि ये सही नहीं है। अरे उनसे सीधे मांगो कि हमारी ये समस्या है और अब आप इसका समाधान करो। आपके अलावा दूसरो कोई स्वामी नहीं है हमारा। आप जगत के मालिक हैं। इसके बाद भोग लगाना है तो लगा दे। बिना कहे भोग लगाओ। ठाकुर जी है अपने। प्रभु हैं लेकिन मांगो तो पिता की तरह ही मांगो उनसे। जैसे पुत्र पिता से मांगता है ना अधिकारपूर्वक कि आपको ये काम पूरा करना है प्रभु क्योंकि आप स्वामी हो…जगत के स्वामी हो। हम आपके बच्चे हैं। समस्या में फंसे हैं।
