नई दिल्ली:- ज्यादातर किसानों के खेत रबी सीजन की फसलें गेहूं, चना की कटाई के बाद खाली हो जाते हैं. अगली फसल जून-जुलाई में बोई जाती है. इस बीच दो से ढाई महीने खेत खाली पड़े रहते हैं. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, खरीफ फसलों की बुवाई से पहले किसान खाली खेतों में मूंगफली और गर्मी का मक्का लगाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए किसान ऐसी किस्मों का चयन कर सकते हैं, जो उन्हें कम समय में बेहतर उत्पादन दें सके.
बातचीत में खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि निमाड़ क्षेत्र में गेहूं और चना की फसलों की कटाई के बाद खेतों को साफ करके किसान उसमें मूंगफली या फिर गर्मी की मक्का की खेती कर सकते हैं. हालांकि, मूंगफली लगाने का समय निकल चुका है. 15 फरवरी से पहले मूंगफली की बुवाई करने का सही समय माना जाता है. फिर भी जिन किसानों के पास संसाधन उपलब्ध हैं, वे खेतों में मूंगफली की बुवाई अभी कर सकते हैं.
मूंगफली की कौन सी वैरायटी लगाएं
अगर किसान मूंगफली की खेती करना चाहते हैं तो अब उन्हें ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए जो देरी से बुवाई के बावजूद अच्छा उत्पादन दे सकें. इसके लिए किसान कृषि अनुसंधान में उपलब्ध वैरायटी जेजीएन-3 एवं जेजीएन-23 सहित बाजार में उपलब्ध कम समय में उत्पादन देने वाली अन्य वैरायटी भी लगा सकते हैं. ये किस्में मात्र 75-80 दिन पककर तैयार हो जाएंगी. किसानों को प्रति एकड़ 7-8 KG बीज लेना चाहिए.
मक्का की कौन सी वैरायटी लगाएं
इसी प्रकार किसान गर्मी का मक्का भी खेतों में लगा सकते हैं. रबी सीजन में जिन्होंने मक्का लगाया था, वे भी रिपीट कर सकते हैं. क्योंकि, मक्का बारहमासी फसल है. इसका उत्पादन किसी भी मौसम में लिया जा सकता है. इसके लिए बाजार में उपलब्ध शंकर मक्का सहित अन्य वैरायटी भी खेतों में लगा सकते हैं. वैज्ञानिक का कहना है कि मक्का की सभी किस्में किसी भी मौसम में लगाकर उत्पादन लिया जा सकता. बस किसानों को कम अवधि वाली किस्मों का ध्यान रखना होगा.
कितनी सिंचाई देनी होगी
वैज्ञानिक डॉ. सिंह बताते हैं कि किसान मूंगफली या मक्का की फसल तभी लगाएं, जब उनके पास समाधान एवं पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो. चूंकि गर्मी की फसल होने से उन्हें सिंचाई ज्यादा लगती है. बुवाई के उत्पादन तक करीब 4 से 5 सिंचाई देनी पड़ती है. हालांकि, जमीन के अनुसार यह कम ज्यादा भी हो सकती है. इसके साथ प्राप्त मात्रा में देसी खाद और डीएपी का छिड़काव करें, जिससे फसल का बेहतर उत्पादन हो सके.