नई दिल्ली:– देश में औषध निर्माण प्रक्रिया में उपयोग होने वाले खतरनाक सॉल्वेंट्स की आपूर्ति पर अब सरकार ने डिजिटल नियंत्रण लागू किया है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ऑनलाइन नेशनल ड्रग्स लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLSS) पोर्टल पर उच्च जोखिम वाले सॉल्वेंट्स की आपूर्ति और गुणवत्ता पर निगरानी के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने के निर्देश जारी किए हैं।
यह आदेश मध्य प्रदेश में 20 से अधिक बच्चों की डाएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) युक्त खांसी के सिरप के कारण हुई मृत्यु के बाद दिया गया है। डीईजी एक मीठा स्वाद वाला, लेकिन अत्यंत विषैला रसायन है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से औद्योगिक सॉल्वेंट के रूप में किया जाता है।
1937 में अमेरिका में भी एक औषधीय द्रव के कारण 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी, जबकि 2022-24 के दौरान गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में भारत से निर्यात किए गए खांसी के सिरप के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार 141 बच्चों की मृत्यु हुई थी।
औषध उद्योग में आएगी पारदर्शिता
डिजिटल ट्रैकिंग से औषधि उद्योग में पारदर्शिता आएगी और डीईजी व ईजी जैसे विषैले तत्वों का उपयोग छिपाना असंभव हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की औषध निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय विश्वास बहाल करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। डाएथिलीन ग्लाइकॉल जैसी घटनाओं ने विश्व स्तर पर भारत की औषध निर्यात पर सवाल उठाए थे।
इन घटनाओं के बाद भारत सरकार ने औषध सुरक्षा को लेकर और सख्त कदम उठाए हैं। डीसीजीआई प्रमुख डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि प्रोपिलीन ग्लाइकॉल जैसे उच्च जोखिम वाले सॉल्वेंट्स की आपूर्ति साखली और गुणवत्ता पर नियंत्रण के लिए ओएनडीएलएसएस पोर्टल पर एक स्वतंत्र डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित की गई है
इस सिस्टम के तहत प्रत्येक निर्माता को अपने उत्पाद की बैच का विवरण, मात्रा और बिक्री किए गए विक्रेताओं की जानकारी ओएनडीएलएसएस पर अपलोड करनी होगी। यदि किसी निर्माता के पास पहले से लाइसेंस है, तो उसे भी पुराने लाइसेंस प्रबंधन के तहत जानकारी जमा करनी होगी।
औषध निर्यात लगभग 2.2 लाख करोड़
ओएनडीएलएसएस को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डीएसी) और केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया गया एक एकीकृत डिजिटल पोर्टल है। यह पोर्टल देशभर में औषध और सौदर्य प्रसाधन लाइसेंस के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के रूप में काम करता है।
नई व्यवस्था से क्या बदलेगाघ्
इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद, देश के लगभग 800 सॉल्वेंट निर्माताओं और 5000 औषध निर्माता कंपनियों को इस पर पंजीकरण करना होगा, भारत का औषध निर्यात लगभग 2.2 लाख करोड़ रुपये की है और यह 200 देशों में आपूर्ति की जाती है।
इस पृष्ठभूमि में औषध की गुणवत्ता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और इसमें किसी भी कमी का निर्यात पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में निर्मित 5 प्रतिशत औषध उत्पाद गुणवत्ता परीक्षण में असफल हो रहे हैं।
कई राज्यों में औषध कंपनियों में प्रमाणीकरण के काम में खामियां पाई गई हैं, और गुणवतापूर्ण औषधों की कमी के कारण 2024 में देश में 350 से अधिक गंभीर विषबाधा मामले दर्ज किए गए हैं।
इस पृष्ठभूमि में डीसीजीआई ने सभी निर्माताओं को सूचित किया है कि कोई भी सॉल्वेंट या सिरप बिना डिजिटल नियमों का पालन किए बाजार में नहीं लाया जाएगा।
संबंधित बैच की विस्तृत जानकारी दर्ज करने के बाद ही बिक्री की अनुमति दी जाएगी। साथ ही, राज्य औषध नियंत्रकों को निरीक्षण, नमूना जांच और निर्माताओं को प्रशिक्षण देने के निर्देश भी दिए गए हैं।
