रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में आज जशपुर जिले के बगीचा स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। बगीचा विकासखंड के सन्ना पंडरापाठ में तीरंदाजी अकादमी की स्थापना के लिए जिला प्रशासन और एनटीपीसी के बीच एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए। यह परियोजना एनटीपीसी द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व के तहत 20 करोड़ 53 लाख रुपए की लागत से संचालित की जाएगी। इस अवसर पर कलेक्टर श्री रोहित व्यास और एनटीपीसी के अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन श्री बिलाश मोहंती भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया खेल प्रतिभा के लिए बड़ा अवसर
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि एनटीपीसी द्वारा सीएसआर के अंतर्गत तीरंदाजी केंद्र की स्थापना सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि जशपुर के युवाओं में तीरंदाजी की अपार संभावनाएं हैं और इस अकादमी के शुरू होने से उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और संसाधन मिलेंगे। इससे क्षेत्र के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा।
ओलंपिक में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों की बढ़ेगी भागीदारी
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि भारत ने वर्ष 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए दावेदारी पेश की है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों और पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन करें। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रशिक्षण केंद्रों से खिलाड़ियों की पहचान और तैयारी में बड़ा सहयोग मिलेगा।
ओलंपिक पदक विजेताओं को मिलेगी विशेष पुरस्कार राशि
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए ओलंपिक पदक विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार राशि देने की घोषणा की है — स्वर्ण पदक विजेताओं को 3 करोड़ रुपए, रजत पदक विजेताओं को 2 करोड़ रुपए और कांस्य पदक विजेताओं को 1 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की जाएगी।
राज्य में खेल अधोसंरचना और सम्मान को मिल रहा बढ़ावा
मुख्यमंत्री श्री साय ने बताया कि राज्य खेल अलंकरण समारोह को फिर से शुरू किया गया है, ताकि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा सके। साथ ही ‘खेलो इंडिया’ के तहत नए प्रशिक्षण केंद्र खोले जा रहे हैं और जनजातीय इलाकों में खेल अधोसंरचना के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
तीरंदाजी की प्राचीन परंपरा को मिलेगा नया आयाम
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का तीरंदाजी से संबंध प्राचीन काल से है। महाभारत और रामायण के नायक इस विधा में निपुण थे। आज आवश्यकता है कि हम आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित कोचिंग के माध्यम से नई पीढ़ी को इस परंपरा से जोड़ें।
अकादमी में होंगी आधुनिक सुविधाएं
सन्ना पंडरापाठ में 10.27 एकड़ भूमि पर बनने वाली इस अकादमी में आउटडोर तीरंदाजी रेंज, खिलाड़ियों के लिए छात्रावास, स्टाफ क्वार्टर, पुस्तकालय, चिकित्सा केंद्र, कौशल विकास केंद्र, हर्बल वृक्षारोपण, जैविक खेती के लिए नर्सरी और प्रशिक्षण मैदान जैसी आधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
